कार्यकारी अध्‍यक्ष और महागठबंधन के नेता हेमंत सोरेन ने चुनौती देते हुए कहा-हम राजनीतिक योद्धा है…

खास बातें

  • सीएनटी-एसपीटी एक्ट के उल्लंघन पर झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष का रघुवर पर पलटवार
  • कहा, पता करिए छत्तीसगढ़ में कौन कर रहा बड़े पैमाने पर जमीन की खरीद-फरोख्त
  • हम व्यक्तिगत चीजें नहीं उठाते, कमर के नीचे वार करना मेरी आदत नहीं
  • एक रांची-टाटा हाइवे तो बना नहीं पाए, जितना हेलिकॉप्टर पर खर्च हुआ उतने में बन जाती सड़क
  • दो सीटों पर लड़ने में क्या हैै बुराई, पिछली बार हारी हुई सीट जीतने के लिए लड़ रहे चुनाव

Jharkhand Assembly Election 2019 राजनीतिक गुणा-भाग में हम यकीन नहीं करते, योद्धा हैं, योद्धा की ही तरह लड़ेंगे। सवाल करते हैं, यदि हमारे परिवार ने सीएनटी-एसपीटी एक्ट का उल्लंघन कर बड़े पैमाने पर जमीन खरीदी हैं, तो पांच साल से यह सरकार कर क्या रही थी? उनके पास सबूत हैं तो उसे सामने क्यों नहीं लाते? विशेष जांच दल (एसआइटी) की रिपोर्ट सार्वजनिक क्यों नहीं करते? हम भाजपा जैसी राजनीति नहीं करते। इारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के कार्यकारी अध्यक्ष हर मुद्दे पर मुखर हैं। महागठबंधन के नेता के रूप में पूरे प्रदेश को नाप रहे हेमंत कहते हैं, इससे खराब सरकार प्रदेश में कभी नहीं रही। मुख्यमंत्री पांच साल में अपने गृह जिले को राजधानी से नहीं जोड़ पाए, दावा करते हैं विकास की गंगा बह रही है। दैनिक जागरण, झारखंड के स्थानीय संपादक प्रदीप शुक्ला और राज्य ब्यूरो प्रभारी प्रदीप सिंह से चुनावी संभावनाओं, महागठबंधन, चुनाव बाद की स्थितियों पर हेमंत सोरेन ने विस्तार से बातचीत की।

सवाल : मुख्यमंत्री रघुवर दास का आरोप है कि आपने और आपके परिजनों ने सीएनटी-एसपीटी एक्ट का उल्लंघन कर संताल परगना से लेकर रांची तक जमीनें खरीदी हैैं। आपने कभी मजबूती से इन आरोपों से इन्कार नहीं किया।

हेमंत का जवाब : हंसते हुए….क्या आपको लगता है कि ऐसे आरोपों में कोई सच्चाई है? जो ऐसे आरोप लगाते हैैं उन्हें शर्म भी नहीं आती ऐसे सवाल उठाने में। अगर इनके पास  सबूत हैं तो ये लोगों को क्यों नहीं दिखाते? ये पहले दिन से चिल्ला रहे  हैैं। हमारे विरुद्ध एसआइटी जांच कराई, उनसे आप लोग ही पूछिए एसआइटी की रिपोर्ट है कहां? रिपोर्ट है तो सार्वजनिक क्यों नहीं करते? भ्रष्टाचार में डूबी विफल सरकार ऐसे आरोप लगा रही है। खुद के गिरेबान में झांक लें।

सवाल : लेकिन मुख्यमंत्री रघुवर दास ने तो पूरे विपक्ष को चुनौती दी है, उनका दावा है, जमशेदपुर में सिर्फ एक मकान है, बाकी कहीं एक इंच भी जमीन नहीं है। विपक्षी नेता भी अपनी संपत्ति घोषित करें?

हेमंत का जवाब : पता कीजिए, छत्तीसगढ़ में बड़े पैमाने पर कौन जमीन की खरीद-फरोख्त कर रहा है? दरअसल हम कमर के नीचे वार नहीं करते। हम व्यक्तिगत चीजों पर राजनीति नहीं करते। हमारा विश्वास नकारात्मक राजनीति में नहीं है।

सवाल : मुख्यमंत्री रघुवर दास काम के आधार पर वोट मांग रहे हैैं। कह रहे हैैं कि उन्होंने सड़क, बिजली आदि के क्षेत्र में बहुत काम किया है?

हेमंत का जवाब : अब देखिए, हमारे सीएम को यह तक नहीं पता है कि महेंद्र सिंह धोनी कौन सा खेल खेलते हैैं तो वे क्या बोलेंगे? सड़क बनना एक सतत प्रक्रिया है। मत बनाइए तब पता चलेगा? पांच साल की डबल इंजन की सरकार में ये रांची-टाटा हाइवे तो बना नहीं पाए। अपने गृह जिला को राजधानी तक से नहीं जोड़ पाए। सड़क ऐसी है कि गर्भवती स्त्री गुजरे तो प्रसव हो जाए। जमशेदपुर अपने घर जाने के लिए जितना इन्होंने हेलिकाप्टर पर खर्च किया है, उतने में तो ठीक से चलने लायक यह सड़क बन ही जाती।

सवाल : आप इस बार भी दो सीटों से चुनाव लड़ रहे हैैं। सीएम पद के उम्मीदवार का इतना असुरक्षित महसूस करना ठीक समझते हैैं?

हेमंत का जवाब : इसमें परेशानी क्या है? मैैं क्यों नहीं लड़ सकता दो सीटों पर? देश में  मैैं पहला उदाहरण नहीं हूं। हम पिछली बार हारी हुई सीट इस दफा जीतना चाहते हैैं। देखिए, हम राजनीतिक योद्धा है। ज्यादा हिसाब-किताब नहीं करते और युद्ध जीतने में विश्वास करते हैैं।

 

हम राजनीतिक योद्धा हैं, जीतने के लिए लड़ते हैं

हरियाणा, महाराष्ट्र चुनाव के बाद विपक्षी गठबंधन के मुखिया हेमंत सोरेन काफी आशावान हो गए हैं। भाजपा के लक्ष्य 65 पार का उपहास उड़ाते हुए कहते हैं, कुछ दिन पहले जिन दो राज्यों में चुनाव हो रहा था वहां एक में 80 पार तो दूसरे में 200 पार का नारा चल रहा था, क्या हुआ? ऐसा ही कुछ इस बार झारखंड में होने जा रहा है। जनता पूरी तरह इस सरकार सेे ऊबी हुई है, और उसने महागठबंधन के पक्ष में मन बना लिया है। हेमंत झामुमो के साथ-साथ गठबंधन के दलों, कांग्रेस और राजद के प्रत्याशियों के चुनाव प्रचार में जुटे हुए हैं। भाजपा की बहुप्रचारित डबल इंजन सरकार के दावे की वे जहां खिल्ली उड़ाते हैैं वहीं खुद के विकास के ब्लूप्रिंट पर भी खुलकर चर्चा करते हैैं। स्थानीय नीति का विरोध करने वाले हेमंत सोरेन यह भी बताते हैैं कि अगर उन्हें मौका मिला तो उनकी राह कैसी होगी। कहते हैैं, भाजपा जैसी राजनीति में उनका यकीन  नहीं। भाजपा जीत या हार दोनों स्थिति में सरकार बनाने का दंभ भरती है लेकिन वे खरीद-फरोख्त कर सरकार बनाने के पक्षधर नहीं हैं।

सवाल : भाजपा के पास एक दर्जन हेलिकाप्टर हैं प्रचार के लिए, उनके पास ऐसे नेताओं की फौज है जो उडऩे के लिए फ्री हैं, तो स्वभाविक उनका प्रचार ज्यादा दिख रहा है, लेकिन इससे कोई फर्क नहीं पडऩे वाला!

हेमंत का जवाब : मुख्यमंत्री कहते हैं पिछले 14 साल राज्य में कुछ नहीं हुआ, भूल जाते हैं उस दौरान भी अधिकांश उनकी अथवा उनकी समर्थित सरकार रही है। पता नहीं चलता वह किसे कोस रहे हैं।

सवाल : यदि महागठबंधन की सरकार बनी तो सबसे पहले प्रदेश में डर, भय का माहौल खत्म करेंगे। जल, जंगल, जमीन हमारा मुद्दा है। आदिवासियों के हक-हकूक को हम किसी को छीनने नहीं देंगे!

हेमंत का जवाब : महागठबंधन को सरकार बनाने के लिए किसी की जरूरत नहीं पड़ेगी। झामुमो हिसाब-किताब कर राजनीति नहीं करती है, योद्धा हैं, योद्धा की ही तरह लड़ेंगे।

 

सवाल : आप विपक्षी दलों की स्टीयरिंग कमेटी के प्रमुख हैैं। क्या वजह रही कि भाजपा के खिलाफ बनने वाला गठबंधन पूरी तरह कारगर नहीं हो पाया? झाविमो गठबंधन का हिस्सा नहीं हो पाया।

हेमंत का जवाब :राजनीति में कई चीजें समय के अनुसार चलती हैैं। राजनीतिक दल भी उसी प्रकार फैसले लेते हैैं। वे अपना फैसला लेने को स्वतंत्र हैैं। झाविमो मेरा कोई बंधुआ मजदूर तो नहीं है। बात बनी थी, यह आपका कहना सही है। हमने अपने स्तर पर प्रयास किया। हम उनके निर्णय पर प्रश्न नहीं उठा सकते। झामुमो झारखंड के हित के लिए हमेशा कटिबद्ध रहा है। आगे जो होगा, देखा जाएगा। हम भाजपा जैसी राजनीति नहीं करते। आपको यह भी विश्वास दिलाते हैैं कि खरीद-फरोख्त की सरकार हम नहीं बनाएंगे। बीजेपी कहती है- जीते या हारे, सरकार बनाएंगे।

सवाल : वामदलों के साथ भी आपका गठबंधन नहीं हो पाया। वामदलों ने कुछ सीटों की डिमांड की थी।

हेमंत का जवाब : देखिए हमारा नजरिया हमेशा सकारात्मक रहा है वामदलों के लिए। अब जहां से हम काफी कम अंतर से जीतते रहे हैैं वहां कार्यकर्ताओं का भारी दबाव रहता है चुनाव लडऩे का। संगठन को ध्यान मेें रखकर ही निर्णय लेना पड़ता है।

सवाल : महागठबंधन की अब तक एक भी ऐसी रैली नहीं हुई है जिसमें बड़े नेता एक साथ मंच साझा करते? क्या आपको लगता नहीं है कि इससे मतदाताओं तक महागठबंधन का सही संदेश नहीं जा पा रहा?

हेमंत का जवाब : मैने पहले ही कहा कि भाजपा और हमारी रणनीति में अंतर है। हम साथ काम कर रहे हैैं। मैने राजद प्रत्याशियों के क्षेत्र में चुनाव प्रचार किया है। हम गठबंधन को सरल तरीके से आगे ले जाने की कोशिश कर रहे हैैं। सभी एक जगह लग जाएंगे तो ज्यादा वक्त लगेगा।

सवाल : आप बार-बार भाजपा की रणनीति की बातें कर रहे हैैं। क्या है भाजपा की रणनीति?

हेमंत का जवाब : उनके पास (भाजपा) बड़े पैमाने पर फ्री हैैंड लोग हैैं। एक दर्जन हेलीकाप्टर उन्होंने किराये पर ले रखा है। ऐसे लोग उड़ रहे हैैं हवा में।

 

सवाल : आप चुनावी मैदान में किसे अपने मुकाबले में मानते हैैं। आजसू और झाविमो ने भी ज्यादातर स्थानों पर प्रत्याशी दिए हैैं।

हेमंत का जवाब : यह राजनीतिक जंग है। जहां जो प्रतिद्वंद्वी है, उसके खिलाफ हमारी लड़ाई है। हम गंभीरता से चुनाव लड़ रहे हैैं। भाजपा हो या कोई अन्य दल, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।

सवाल : आजसू को आप कैसे देखते हैैं? इनका भाजपा के साथ गठबंधन नहीं हो पाया। आप कहते रहते हैं कि वह भाजपा की बी टीम है।

हेमंत का जवाब : देखिए लोग मन बना चुके हैैं कि क्या करना है। सभी राजनीतिक दल हैं और सबको प्रत्याशी खड़ा करने का अधिकार है। अब जिसे पका-पकाया खाना मिल रहा है, उसे क्या सोचना है। इससे ज्यादा मैैं क्या बोलूं।

सवाल : आप दावा कर रहे हैं महागठंधन की सरकार बनेगी। चुनाव बाद अगर विपरीत परिस्थितियां बनें तो क्या आप भाजपा के साथ मिलकर सरकार बना सकते हैं?

हेमंत का जवाब : थोड़ा हिचकते हुए…ऐसे सवालों का कोई जवाब नहीं मेरे पास। राजनीतिक दल होने के नाते इसका उत्तर देने का औचित्य भी नहीं है। हम आखिरकार इसकी चर्चा ही क्यों करें। देखिए, मैैं ऐसे सवालों की चिंता भी नहीं करता और इसके लिए कभी कोई होमवर्क भी नहीं किया।

 

सवाल : आप आत्मविश्वास से भरे हैं, कितनी सीटें जीतेंगे?

हेमंत का जवाब : हमने अभी इसका कोई हिसाब-किताब नहीं लगाया है। बस पूरी ताकत से लड़ रहे हैं।

सवाल : लेकिन चुनाव में जीतने वाले प्रत्याशी पर सभी दांव लगाते हैैं। भाजपा का दावा तो 65 प्लस सीटों का है।

हेमंत का जवाब : जी बिल्कुल, आंकड़े का सवाल उठाकर भाजपा दिग्भ्रमित करने में माहिर है। 60 पार, 65 पार, 80 पार। इनकी भाषा गिनने वाली और शैली गंदा करने वाली है। हम राजनीतिक योद्धा हैैं। जीतने के लिए ही लड़ाई लड़ते हैैं।

सवाल : कांग्रेस पर कितना भरोसा है? चुनाव के बाद भी आपका साथ बना रहेगा? सरकार में आए तो क्या एजेंडा होगा?

हेमंत का जवाब : बिल्कुल, हम साथ चले हैैं और साथ रहेंगे। मेरा एजेंडा स्पष्ट है। सार्वजनिक भी ये चीजें कई बार सामने आ चुकी है। हमारा पहला काम राज्य में डर और भय का माहौल खत्म करना है। इसे हर हाल में रोकेंगे। जल, जंगल, जमीन बड़ा मुद्दा रहा है। स्थानीय नीति, बेरोजगारी, शिक्षा, स्वास्थ्य हमारा एजेंडा है।

 

सवाल : आप स्थानीय नीति का विरोध करते हैैं। क्या परिवर्तन आप इसमें चाहते हैैं?

हेमंत का जवाब : हम जनता की डिमांड के मुताबिक स्थानीय नीति बनाएंगे।

सवाल : लेकिन आपकी नीति जमीन संबंधी कानून सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन के विरोध की है। इस परिस्थिति में रोजगार के मौके कैसे बढेंगे?

हेमंत का जवाब : थोड़ा झल्लाते हुए…मैैं नहीं जान पाया कि सीएनटी-एसपीटी एक्ट विकास में बाधक कैसे है? कानून बना अंग्रेजों के शासनकाल में। इसी कानून के रहते एशिया का सबसे बड़ा स्टील प्लांट जमशेदपुर में लगा। एचइसी यहां स्थापित हुआ। सिंदरी में खाद का कारखाना लगा। पचासों साल से खनिजों का खनन हो रहा है। बड़े जलाशयों का निर्माण हुआ। हाइवे बने। रेलवे के प्रोजेक्ट्स बने। अस्पताल और मेडिकल कालेज बना। आखिर बाधा कहा है, आप सोचिए। इस एक्ट के रहते मैैं विकास करके दिखाऊंगा। एक बार मौका तो मिले। रोजगार के अनेकों माध्यम हैैं राज्य में। यहां इतना रोजगार होगा कि यहां बेरोजगार को खोजना मुश्किल होगा। हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा में कोई खनिज संसाधन भी नहीं है। सिर्फ प्राकृतिक सौंदर्य के बूते ये प्रदेश रोजगार पैदा कर रहे हैैं। भाजपा कहती है कि पूर्व की सरकारों ने राज्य को बर्बाद किया। अब ये किसको टारगेट कर रहे हैैं, ये वही बता सकते हैैं। इनका सबसे लंबा समय तक शासन रहा है झारखंड में। सिर्फ इच्छाशक्ति का अभाव है। प्रदेश को समृद्धि के रास्ते पर ले जाने का मेरा विजन स्पष्ट है।

सवाल : आप कह रहे हैैं कि यह युद्ध है, लेकिन महागठबंधन में तो आप अकेले ही चुनाव प्रचार में लगे हैं? अभी तक कांग्रेस का कोई भी नेता प्रचार करने नहीं आया?

हेमंत का जवाब : हमने कांग्रेस के नेताओं से बातचीत की है। उनसे आग्रह किया है कि वे अपने नेताओं को चुनाव प्रचार में लगाएं। वे योजना बना रहे हैैं। पहले चरण में भाजपा कही नहीं है। हम सबसे अधिक सीटें जीतने की स्थिति में हैैं।

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