कानपुर नगर लोकसभा क्षेत्र छोड़कर हर सीट पर जमानत हुई जब्त कन्नौज लोकसभा सीट से नहीं था कोई प्रत्याशी

 प्रियंका वाड्रा से करिश्मे की आस हकीकत की जमीन पर नहीं उतर पाई। इसे मोदी सुनामी कहें या कांग्रेस का कमजोर संगठन, ‘प्रियंका जादू’ लेकर भी ‘हाथ’ जनता की ‘नब्ज’ नहीं थाम पाया। चाहे पार्टी के कद्दावार नेता रहे हों या फिर दल बदलकर हाथ थामने वाले, प्रियंका की रैली और रोड शो में उमड़ी भीड़ को जीत के रूप में बदलना तो दूर, संघर्ष के रूप में भी नहीं बदल सके। 

कानपुर-बुंदेलखंड परिक्षेत्र के दस सीटों का ही विश्लेषण करें तो कांग्रेस महज एक लोकसभा सीट पर दूसरे स्थान पर रही। शेष आठ सीटों पर उसके उम्मीदवार जमानत तक नहीं बचा सके। कन्नौज सीट पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पत्नी और सांसद डिंपल यादव के खिलाफ कांग्रेस ने प्रत्याशी नहीं उतारा था। कानपुर में प्रियंका के रोड शो ने उम्मीद जगाई लेकिन लगातार तीन बार सांसद रहे कांग्रेस प्रत्याशी श्रीप्रकाश जायसवाल दूसरे स्थान पर ही रहे। गणना के दौरान वह संघर्ष में आते हुए भी नहीं दिखे। लेकिन अपनी छवि के चलते अपने कद की गरिमा बरकरार रखने में कामयाब रहे।

इस क्षेत्र में कानपुर के बाद उन्नाव से कांग्रेस प्रत्याशी अन्नू टंडन ही 15 फीसद के आंकड़े तक पहुंच सकीं। हालांकि जमानत बचाने में सफल नहीं हो पाई। उन्हें 185634 यानी 15.01 फीसद मत मिले लेकिन यह प्रदर्शन पिछले लोकसभा चुनाव के मुकाबले कमजोर रहा। अकबरपुर लोकसभा सीट से राजाराम पाल कड़े प्रत्याशी माने जा रहे थे वह भी लड़ाई में नहीं दिखे। महज 10.57 फीसद मत लेकर तीसरे स्थान पर रहे। प्रियंका ने बुंदेलखंड में हमीरपुर-महोबा लोकसभा सीट पर रोड शो के दौरान बांदा में पीए की रैली के पहले सड़क को टैंकर के पानी से धोने का फोटो ट्वीट कर जनता की नब्ज थामने की कोशिश की लेकिन कमजोर संगठन का ‘हाथ’ इसमें सफल नहीं हो सका। यहां भी कांग्रेस प्रत्याशी प्रीतम सिंह लोधी तीसरे स्थान पर रहे और महज 10.51 फीसद मत पाने के कारण जमानत नहीं बचा सके।

फर्रुखाबाद में पूर्व विदेश मंत्री और कांग्रेस के बड़े नेताओं में शुमार सलमान खुर्शीद खड़े थे लेकिन महज 55258 मत लेकर वह 5.51 फीसद ही मत पा सके। उनकी भी जमानत जब्त हो गई। साइकिल से उतरकर हाथ थामने वाले राकेश सचान से कांग्रेस फतेहपुर में करिश्मे की उम्मीद कर रही थी लेकिन वह भी महज 66044 यानी 6.33 मत पाकर तीसरे स्थान पर ही रहे और कहीं संघर्ष में नहीं दिखे। बांदा-चित्रकूट लोकसभा से कांग्रेस ने दस्यु ददुआ के भाई बाल कुमार पटेल पर दांव खेला लेकिन जनता ने उन्हें नकार दिया। उन्हें महज 75438 यानी 7.29 फीसद ही मत मिले।

जालौन-गरौठा लोकसभा सीट पर भी यही हाल रहा। यहां से पूर्व सांसद बृजलाल खाबरी महज 89606 यानी 7.93 फीसद ही मत जुटा सके। सबसे खराब स्थिति इटावा में रही। यहां कमल छोड़कर हाथ थामने वाले पूर्व भाजपा सांसद अशोक दोहरे जातिगत मतों को ही नहीं साध पाए और महज 16570 के आंकड़े पर सिमट गए। यह कुल पड़े मतों का 1.61 फीसद हिस्सा है। 1/6 मत पाने वाले की बचती है जमानत प्रत्याशी को अपनी जमानत बचाने के लिए कुल पड़े मतों का छठवां हिस्सा पाना अनिवार्य होता है। दशमलव के दो अंकों तक मानें तो इसके अनुसार प्रत्याशी को 16.67 फीसद मत मिलने चाहिए।

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