कांग्रेस UP में अल्पसंख्यकों नेताओं की तलाश के लिए टैलेंट हंट का लेगी सहारा…

कांग्रेस महासचिव और उत्तर प्रदेश की प्रभारी प्रियंका गांधी सूबे में पार्टी को मजबूत करने की कवायद में जुटी हैं. कांग्रेस के अंदरूनी हालात को दुरुस्त करने के लिए पार्टी में बड़े बदलाव की रूपरेखा तैयार की जा रही है. कांग्रेस उत्तर प्रदेश में अल्पसंख्यकों नेताओं की तलाश के लिए टैलेंट हंट का सहारा लेगी और फिर उनकी काबिलियत के लिहाज से कांग्रेस अपने संगठन में उन्हें जगह देगी.

अल्पसंख्क नेताओं की तलाश में टैलेंट हंट

लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश की अपनी सभी जिला कमेटियों को भंग कर दिया था. सूबे में कांग्रेस की नई कमेटियों को बनाने की कवायद शुरू हो गई है. कांग्रेस संगठन पर सालों से काबिज बुजुर्ग नेताओं को हटाकर 40 साल से कम उम्र के युवा नेताओं को संगठन में तरजीह देकर कांग्रेस को ‘जुझारू’ बनाने का निर्देश दिया जा चुका है. साथ ही, कांग्रेस के अल्पसंख्यक इकाई के राष्ट्रीय अध्यक्ष नदीम जावेद ने सूबे में पार्टी के लिए अल्पसंख्यक नेता की तलाश शुरू कर दी है.

पूर्वांचल के 40 जिलों में टैलेंट हंट की शुरुआत

नदीम जावेद ने अल्पसंख्यक नेता की तलाश के लिए पूर्वी उत्तर प्रदेश के लगभग 40 जिलों में टैलेंट हंट की शुरुआत करने के निर्देश दिए हैं. प्रदेश के सभी इच्छुक अल्पसंख्यक कार्यकर्ताओं को इस टैलेंट हंट में भाग लेने की छूट होगी, जहां से बतौर नेता उनकी पहचान की जाएगी. इस टैलेंट हंट के जरिए ही अल्पसंख्यक नेताओं को पदाधिकारी बनाया जाएगा.

कांग्रेस के इस टैलेंट हंट में पहले तेनाओं के बायोडाटा लिए जाएंगे, जिनमें उन्होंने समाज के लिए क्या-क्या किया है. इसका पूरा लेखा-जोखा और तस्वीर सहित टैलेंट हंट करने वाली टीम को दिखानी होगी. ऐसे में साफ जाहिर है कि अगर आपमें काबिलियत है तो आप कांग्रेस अल्पसंख्यक इकाई में नेता और पदाधिकारी चुने जा सकते हैं.

यूपी में मुस्लिम सियासत

बता दें कि उत्तर प्रदेश में मुस्लिम समुदाय की आबादी करीब 22 फीसदी है. 90 के दशक से पहले मुस्लिम समुदाय की पहली पसंद कांग्रेस पार्टी हुआ करती थी. लेकिन 1992 के अयोध्या में बाबरी विध्वंस के बाद मुस्लिम मतदाता कांग्रेस से छिटकर सपा और बसपा की ओर चले गए. इसका नतीजा रहा है कि कांग्रेस दोबारा से सूबे में वापसी नहीं कर सकी.

कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश में 2022 के विधानसभा चुनाव की तैयारी अभी से शुरू कर दी है. ऐसे में कांग्रेस अपने पुराने मुस्लिम वोटबैंक को वापस लाने की कवायद में है. उत्तर प्रदेश विधानसभा की कुल 403 सीटों में से करीब 130 से 135 सीटें ऐसी हैं जहां मुसलमानों का वोट निर्णायक साबित होता है. इनमें से ज्यादातर सीटें पश्चिमी उत्तर प्रदेश, तराई वाले इलाके और पूर्वी उत्तर प्रदेश में हैं. यहां मुसलमानों का भरोसा हासिल किए बिना किसी भी उम्मीदवार के लिए जीत हासिल करना मुश्किल है. यही वजह है कि कांग्रेस अभी से सूबे में अपने राजनीतिक समीकरण को दुरुस्त करने में जुट गई है.

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