कांग्रेस के लिए बना वरदान, BJP से टूटा शिवसेना का गठबंधन: महाराष्ट्र

महाराष्ट्र में सियासी गतिरोध भले ही बरकरार हो, लेकिन हालिया घटनाक्रम को लेकर कहा जा रहा है कि कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) काफी खुश हैं. पार्टी सूत्रों ने कहा कि राज्य में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और शिवसेना के अलग होने के कारण विभाजित कांग्रेस और उसकी सहयोगी शरद पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) एक बार फिर एकजुट हो गई हैं. उनके लिए यह घटनाक्रम किसी वरदान से कम नहीं है. हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में बहुमत मिलने के बाद भी मुख्यमंत्री पद की दावेदारी को लेकर भाजपा-शिवसेना का गठबंधन टूट चुका है. राज्य में कांग्रेस 20 वर्षो से कांग्रेस और राकांपा के रूप में विभाजित रही है और साथ ही भारी मतभेदों को झेलने के बाद भी एक-दूसरे का समय-समय पर सहयोग करती आई है.

वर्ष 1999 से 2014 तक कांग्रेसी और राकांपा के कार्यकर्ता अंदरूनी खींचतान और एक-दूसरे के साथ लड़ाई लड़ने में व्यस्त रहे और अनजाने में अपने प्रतिद्वंद्वियों को राजनीतिक लाभ दिया. यहां तक कि अक्टूबर के अंत तक, दोनों पार्टियों के पुरुष और महिला कार्यकर्ता आपस में राजनीतिक बयानबाजी करने में लगे हुए थे. पार्टियों ने एक-दूसरे की छवि को धूमिल किया. इसमें शक्तिशाली मुंबई कांग्रेस भी शामिल थी, इसका परिणाम यह हुआ कि लोकसभा और विधानसभा, दोनों ही चुनावों में गंभीर नतीजे सामने आए.

इस बार अक्टूबर में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 44 और राकांपा को 54 सीटों पर जीत मिली, वहीं वर्ष 2014 में यह आंकड़ा क्रमश: 42 और 41 था। दोनों दल का मनोबल तो जरूर बढ़ा, लेकिन दोनों अभी सरकार बनाने से बहुत दूर हैं. दोनों सहयोगी पाíटयां सरकार भले ही न बना पाएं, मगर भाजपा-शिवसेना का गठबंध टूटने और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) से शिवसेना के अलग होने इनकी स्थिति राज्य में और मजबूत दिखाई दे रही है.

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