कश्मीर में मोबाइल और इंटरनेट सेवा की पाबंदियों से आतंकी संगठनों का सूचना तंत्र तबाह…

कश्मीर में मोबाइल और इंटरनेट सेवा पर पाबंदी लगने के बाद आतंकी संगठनों का सूचना तंत्र लगभग तबाह हो गया है। वे सरहद पार बैठे अपने आकाओं से नियमित तौर पर संपर्क नहीं कर पा रहे हैं। हताश आतंकियों को आकाओं जहां तक की अपने ओवरग्राउंड वर्करों तक संदेश पहुंचाने के लिए भी ठिकानों से बाहर निकलना पड़ रहा है। वहीं ओवरग्राउंड वर्कर उनसे मिलने वाला संदेश पड़ोसी देश में बैठे आकांओं तक पहुंचाने के लिए नियमित तौर पर अब पंजाब और दिल्ली जा रहे हैं।

राज्य में आतंकरोधी अभियानों में सक्रिय भूमिका निभा रहे राज्य पुलिस एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मोबाइल फोन और इंटरनेट सेवा आतंकियों के लिए एक तरह से जीवन रेखा बन चुकी थी। अब इन सेवाओं के ठप होने से उनकी सांस थम रही है। सोशल मीडिया पर वह विभिन्न एप के जरिए अपने हैंडलरों और अन्य लोगों के साथ लगातार संपर्क में रहते थे। वह पकड़ में भी नहीं आते थे। उनके संदेश भी आसानी से डिकोड नहीं होते थे। अब आतंकी हताश हैं, वे अपने नेटवर्क से जुड़े लोगों के साथ संपर्क करने में असमर्थ हैं। इसलिए वे खुद या फिर उनके ओवरग्राउंड वर्कर राज्य से बाहर जा रहे हैं।

पकड़े गए जैश-ए-मोहम्मद के माडयूल ने किया खुलासा

गत दिनों लखनपुर और जम्मू के निकट बाड़ी ब्राह्मणा में पकड़े गए जैश-ए-मोहम्मद के माडयूल ने भी इस तथ्य की पुष्टि की है। लखनपुर में पकड़े गए जैश आतंकी उबैद उल इस्लाम ने दिल्ली जाने का फैसला सिर्फ इसलिए किया था कि वहां पर इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध थी। उसने भी राज्य की सीमा लांघने के बाद ही सोशल मीडिया के जरिए पाकिस्तान बैठे अपने हैंडलर से संपर्क किया था। सोशल मीडिया पर ही उसे हथियारों की डिलवरी के बारे में बताया गया था। जम्मू में पकड़े गए जैश माडयूल का सरगना इम्तियाज नेंगरू बीते एक पखवाड़े में पठानकोट में करीब तीन से चार बार जा चुका है। जब भी उसे कोई नया संदेश प्राप्त करना होता था या कोई सूचना पार पहुंचानी होती थी तो वह पठानकोट चला जाता था। इम्तियाज की मानें तो उसकी तरह कुछ और ओवरग्राऊंड वर्कर पंजाब, हिमाचल या दिल्ली सिर्फ पाकिस्तान में बैठे अपने हैंडलरों से संपर्क करने के लिए गए हैं।

ट्रक चालकों का भी किया जा रहा इस्तेमाल

पुलिस अधिकारी ने बताया कि पकड़े गए जैश माडयूल के मुताबिक, कश्मीर के कई ट्रक चालकों को भी आतंकी अपने लिए इस्तेमाल कर रहे हैं। ट्रक चालकों को यह कहा जाता है कि कश्मीर से सरहद पार बैठे रिश्तेदारों से बातचीत नहीं हो रहीहै। वह जब पंजाब पहुंचे या दिल्ली पहुंचे तो वहां से वह वाटएसएप पर फलां नंबर पर हालचाल बता दें कि यहां सबकुछ ठीक है या फिर फलां परेशान हैं। इसके अलावा इन चालकों को कुछ शब्द बताए जाते हैं जो सामान्य तौर पर आम ही होते हैं, लेकिन उनका असली मतलब सिर्फ ओवरग्राऊंड वर्कर, आतंकी व सरहद पार बैठे उनके आका ही जानते हैं।

उन्होंने बताया कि जैश माडयूल से मिली जानकारी के आधार पर सुरक्षाबलों ने कई जगह ट्रक चालकों को सचेत किया है कि वे किसी भी व्यक्ति द्वारा बताए गए नंबर पर बिना पुष्टि किए किसी तरह का संपर्क न करें। अगर वे देश से बाहर किसी अन्य मुल्क में किसी अन्य व्यक्ति के पड़ोसी या रिश्तेदार के लिए संपर्क करते हैं तो उसके बारे में जरूर पुलिस को सूचित करें।

सोशल मीडिया-स्मार्ट फोन आने के बाद रेडियो सेट पर निर्भरता कम हुई

आतंकियों के पास रेडियो सेट की उपलब्धता पर उक्त पुलिस अधिकारी ने कहा कि प्रत्येक आतंकी के पास रेडिया सेट नहीं होता। पहले हर तीन-चार आतंकियों में एक के पास रेडियो सेट रहता था, लेकिन सोशल मीडिया और स्मार्ट फोन के चलते आतंकियों की रेडियो सेट पर निर्भरता कम हो गई थी। रेडियो सेट की फ्रीक्वेंसी के आधार पर उसकी लोकेशन का भी पता चल जाता है और सुरक्षाएजेंसयां वहां पहुंच जाती है। इसके अलावा रेडियो सेट पर होने वाली बातचीत को अक्सर पकड़ लिया जाता है। इसलिए आतंकी अब सिर्फ अपरिहार्य परिस्थितियों में ही इसका इस्तेमाल करते हैं।

जम्मू-कश्मीर में 5 अगस्त से बंद है मोबाइल-इंटरनेट सेवा

सनद रहे कि पांच अगस्त को जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम के तहत जम्मूकश्मीर को दो केंद्र शासित राज्यों में विभाजित किए जाने के फैसले के बाद किसी भी अप्रिय घटना से निपटने और अफवाहों पर काबू पाने के लिए राज्य प्रशासन ने पूरी वादी में मोबाइल व इंटरनेट सेवाओं को ठप कर दिया था। यह पाबंदी निरंतर जारी है। इससे आतंकियों और उनके ओवरग्राउंड वर्कर नेटवर्क के लिए अपनी गतिविधियों का संचालन मुश्किल हो चुका है। वह राज्य के विभिन्न हिस्सों में सक्रिय अपने साथियों और सरहद पार बैठे अपने आकाओं से भी संपर्क नहीं कर पा रहे हैं। इससे उनके पास पैसे के अलावा साजो सामान की भी दिक्कत हो चुकी है।

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