कविता : कण कण में भगवान

गरिमा राकेश गौतम आरजू तो रहती है ईश्वर मिलन कीपर हसरत कहाँ पूरी होती यहाँ सभीखुली आँखों से जो उसे पाना चाहोगेतो दर्शनो को प्यासे रह जाओगे।एक बार बंद आँखों से मन से पुकारो तोअपने मन में उसे मुस्कराते पाओगे।कहाँ ढूंढ़ते हो उसे मंदिर, मज्जिदो मेंतीर्थराज प्रयाग और काशी,कर्बला मेंएक जगह नही उसकी सत्ता विराजमानसृष्टि … Continue reading कविता : कण कण में भगवान