कर्नाटक में जारी सियासी नाटक, भाजपा का खेल बिगाड़ सकते हैं विधानसभा अध्यक्ष

कर्नाटक में चल रहा सियासी नाटक धीरे धीरे निर्णायक मोड़ पर पहुंचता दिखाई दे रहा है। कांग्रेस-जेडीएस के गठबंधन वाली कुमारस्वामी सरकार से दो निर्दलीय विधायकों के समर्थन वापस लेने के बाद अब सभी निगाहें शुक्रवार को होने वाली कांग्रेस विधायक दल की बैठक पर हैं। भाजपा को आशंका है कि कांग्रेस खेमे के विधानसभा अध्यक्ष इस बैठक से दूर रहने वाले विधायकों का मताधिकार छीन सकते हैं। ऐसे में विधानसभा में मतविभाजन की स्थिति में भाजपा का सत्ताधारी गठबंधन को अल्पमत साबित करने का खेल बिगड़ सकता है। कर्नाटक में जारी सियासी नाटक, भाजपा का खेल बिगाड़ सकते हैं विधानसभा अध्यक्ष

दरअसल भाजपा के रणनीतिकारों का मानना है कि कांग्रेस ने सरकार बचाने की नीति के तहत शुक्रवार की बैठक बुलाई है। एक तरफ कांग्रेस घोषित रूप से अपने नाराज विधायकों को अगले मंत्रिमंडल विस्तार में मंत्री पद देने की बात कर रही है, तो दूसरी ओर इस बैठक के जरिए अपने पक्ष में खड़े विधायकों की वास्तविक संख्या जानना चाहती है। इस बैठक से गायब रहने पर असंतुष्ट विधायकों की पहचान कांग्रेस के सामने खुल सकती है और उन्हें विधानसभा में शक्ति परीक्षण के दौरान विधानसभा अध्यक्ष बागी घोषित कर मताधिकार से वंचित रख सकते हैं। 

इस पूरी रणनीति में पहले भी संकटमोचक साबित हो चुके डी. शिवकुमार की भूमिका अहम मानी जा रही है। हालांकि भाजपा ने इसकी भनक लगने के बाद ही गुरुग्राम में अपने 104 विधायकों को रखने वाले भाजपा नेतृत्व ने अपने वरिष्ठ नेता और पूर्व सीएम बीएस येदियुरप्पा को बंगलुरू भेजने का फैसला किया है। हालांकि विधायकों से मताधिकार छिनने की स्थिति में भाजपा के पास अदालत का रुख करने का विकल्प रहेगा, लेकिन फिलहाल कुमारस्वामी सरकार सुरक्षित साबित हो जाएगी।
 

शक्ति परीक्षण पर भी ऊहापोह

भाजपा सूत्रों का दावा है कि दो निर्दलीय विधायकों के अतिरिक्त कांग्रेस के नौ और बसपा के एक विधायक उसके संपर्क में है, जिससे वह बहुमत का जादुई आंकड़ा पार कर सकती है। लेकिन फिलहाल हालातों को देखकर भाजपा नेतृत्व शक्ति परीक्षण के विकल्प पर भी ऊहापोह की स्थिति में है। पार्टी को डर है कि आम चुनाव से पहले अगर उसका दांव उल्टा पड़ा तो उसे इसका बड़ा सियासी नुकसान उठाना पड़ सकता है। 

यह है संख्या गणित

225 सदस्यों की है कर्नाटक की वर्तमान विधानसभा
104 विधायकों के साथ विधानसभा में सबसे बड़ा दल है भाजपा
79 सदस्य हैं सत्ताधारी गठबंधन में कांग्रेस के और 37 सदस्य हैं जेडीएस के
02 निर्दलीय विधायकों ने सरकार से समर्थन लिया है वापस
117 सदस्यों (स्पीकर समेत) के समर्थन का दावा कर रहे सीएम कुमारस्वामी
09 विधायकों के अपने पक्ष में आने का दावा किया है भाजपा ने

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