जिंदगी में आगे बढ़ने का एक ही तरीका है वो करो जो 99 प्रतिशत लोग नहीं कर सकते। तभी तो कहा जाता है कोशिश करने वालो की कभी हार नहीं होती। बिहार के जाने-माने ज्वैलर चांद बिहारी अग्रवाल सभी लोगों के लिए उसी कोशिश और साहस की जीती-जागती मिसाल हैं।
जीरो से शुरू करके जहां जीत लेने का हुनर कम ही लोगों के पास होता है। सक्सेस स्टोरी में आज हम बात करेंगे बिहार से ताल्कुल रखने वाले ज्वैलर चांद बिहारी अग्रवाल की। कभी फुटपाथ पर पकौड़े बेचने वाले चांद बिहारी आज ज्वैलरी कारोबार में जाना-माना नाम हैं।
जयपुर में पैदा हुए चांद बिहारी का बचपन मुसीबतों से भरा गुजरा। पिता की जुआ खेलने की आदत ने घर की माली हालत इतनी खराब कर दी कि चांद स्कूल तक नहीं जा पाए। कभी मां के साथ जयपुर की सड़कों पर पकौड़ें बेचे तो कभी साड़ी की दुकान पर सेल्समैन का काम किया। इस काम में उन्हें महज 300 रुपये वेतन के तौर पर मिलते थे।
लेकिन वो कहते हैं न जब हौसला साथ होता है तो किस्मत बदलते देर नहीं लगती। कुछ नया करने की चाहत में चांद बिहारी ने साड़ियों का बिजनेस शुरू किया। अनजान शहर पटना में बिजनेस शुरू करना आसान बात नहीं थी। शुरुआत में इस बिजनेस में काफी घाटा हुआ। फुटपाथ पर दुकान खोलना आसान नहीं था।
तपती धूप में चांद बिहारी पटना की हर एक दुकान पर जा- जाकर अपनी साड़ियों का सैंपल दिखाते थे। धीरे-धीरे एक वक्त ऐसा आया जब चांद बिहारी के किस्मत का ताला खुल गया। लेकिन तभी कुछ ऐसा हुआ जिससे चांद बिहारी फिर वहीं आ खड़े हुए जहां से उन्होंने शुरुआत की थी।