कभी इस खूंखार डाकू से थरथराता था चंबल, आज जी रहा ऐसी दर्दनाक जिंदगी…

दुनिया में चंबल वो धरती है जहां पर सबसे ज्यादा खतरनाक डकैतों ने जन्म लिया था और अपना राज चलाया था। आज भी जब लोग चंबल में जाते हैं तो उन्हें डर लगता है कि कहीं कोई डकैत उन पर हमला न कर दे। चंबल में एक ऐसा दौर था जब वहां पर डकैतों का खौफ फैला रहता था।कभी इस खूंखार डाकू से थरथराता था चंबल, आज जी रहा ऐसी दर्दनाक जिंदगी...

जब-जब चंबल का नाम आता है तो वहां के खौफनाक डकैतों की छवि मन में बनने लग जाती है। दुनिया में चंबल वो धरती है जहां पर सबसे ज्यादा खतरनाक डकैतों ने जन्म लिया था और अपना राज चलाया था। आज भी जब लोग चंबल में जाते हैं तो उन्हें डर लगता है कि कहीं कोई डकैत उन पर हमला न कर दे। चंबल में एक ऐसा दौर था जब वहां पर डकैतों का खौफ फैला रहता था।

आज हम चंबल के उस बागी के बारे में बता रहे हैं, जिन्होंने चंबल पर कुछ साल नहीं बल्कि कई दशकों तक अपना राज चलाया था। जी हां मलखान सिंह ने पुलिस और सरकार को अपनी ताकत के दम पर झुकाया था। मलखान की बहादुरी और वीरता के कारण उन्हें चंबल का शेर कहा जाता था। मलखान सिंह ने चंबल में इतना खौफ फैलाया था कि उन पर हत्याओं और डकैती के हजारों मामले दर्ज हुए थे। मलखान सिंह पहले सिस्टम के चलते डकैत बने और फिर आज वर्तमान में एक आम इंसान की जिंदगी जी रहे हैं। यहां हम जानेंगे कि आखिर मलखान सिंह ने हथियार उठाकर बीहड़ों का रुख क्यों अपनाया था।

मलखान सिंह का जन्म एक जमींदार परिवार में हुआ था, लेकिन उन्हें न गलत करना पसंद था और न ही गलत होते हुए देखना पसंद था। एक बार जब उनके गांव के सरपंच ने मंदिर की जमीन को हड़पने की कोशिश की तो उन्होंने उसे रोकने की कोशिश की तो गांव के सरपंच ने मलखान पर झूठे आरोप लगाकर उसे जेल में डलवा दिया। उसी रंजिश के चलते मलखान के दोस्त की हत्या भी करवा दी गई। कहा जाता है कि सरपंच की एक तत्कालीन मंत्री से जान पहचान थी, जिसका फायदा उठाकर उसने मलखान सिंह पर गलत मुकदमे दर्ज करवा दिए और खुद हत्या करवाने के बावजूद पुलिस से बचा रहा। 1970 में मलखान ने भी पंच का चुनाव जीत लिया। मलखान सिंह जब जेल से छूट कर आया तो उसने ठान लिया कि अब मंदिर की जमीन को ऐसे गलत हाथों में नहीं जाने दूंगा। एक रात जब मलखान अपने घर में सो रहे थे तो सरपंच के लोगों ने उन पर हमला कर दिया और इसके विरोध में उसने खुद बागी बनाकर हथियार उठा लिए।

मलखान सिंह ने जब अपना गिरोह बनाया तो उसमें उनके कुछ करीबी लोग, कुछ मित्र और कुछ रिश्तेदार मिलाकर 18-20 ज्यादा लोग थे। मलखान सिंह के गिरोह पर पुलिसवालों सहित 185 से ज्यादा हत्याएं करने के मुकदमे दर्ज हुए थे। 70 के दशक में चंबल घाटी के गांवों में खौफ का नाम बन चुके मलखान सिंह को पकडऩा पुलिस के लिए बहुत ही मुश्किल था। मलखान ने करीब 1980 तक चंबल घाटी पर राज किया। मलखान सिंह के लिए ये कहा जाता है कि वो जहां से भी गुजरते थे वहां सन्नाटा पसर जाता था। 6 फीट लंबा कद और चेहरे से बाहर निकलती मूंछे मलखान सिंह को अपने समय का दमदार बागी बनाती थी।

1980 के करीब मलखान सिंह और उसके गिरोह मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के समक्ष सरेंडर कर दिया। सरेंडर के बाद मलखान सिंह को भूदान आन्दोलन के जरिए जमीन भी दी गई। मलखान सिंह ने जेल से बाहर आने के बाद पंचायत का चुनाव लड़कर उसमें जीत हासिल की थी। मलखान सिंह ने 2014 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी और नरेन्द्र मोदी के पक्ष में प्रचार भी किया। मलखान सिंह प्रचार करते हुए ये कह रहे थे कि कांग्रेस के राज में उन्हें मजबूरन बागी बनना पड़ा था।

सरेंडर के बाद मलखान सिंह की छवि लोगों में सेलिब्रिटी के जैसी हो गई है। मलखान सिंह नोटबंदी के दौरान अक्टूबर, 2016 में नोट बदलवाने के लिए ग्वालियर के स्थित SBI शाखा पर लाइन में खड़े नजर आए थे। मलखान सिंह वहां अपने कंधे पर बंदूक टांगे हुए थे और बहुत ही शांतिप्रिय तरीके से घंटों लाइन में खड़े रहे और अपने नोट बदलवाए। ये वही मलखान सिंह था जिससे 1970-80 के दशक सिर्फ मध्य प्रदेश ही नहीं बल्कि राजस्थान और यूपी की पुलिस भी मुकाबले करने से डरती थी।

नोटबंदी के दौरान मलखान सिंह और पुलिस आपस में अच्छे तरीके से बात कर रहे थे। वर्तमान में मलखान सिंह हथियार छोड़ आध्यात्मिक के रास्ता पर चल रहे हैं। अगर कोई मलखान सिंह को डाकू या डकैत कहता है तो उन्हें गुस्सा आ जाता है वो कहते हैं कि उन्होंने अन्याय के खिलाफ बगावत की थी, इसलिए वो बागी हैं न कि डकैत।

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