कठिन परीक्षा को सफलता पूर्वक पार करने वाला ही देवत्व प्राप्त करता है

एक मंदिर में स्थापित प्रस्तर प्रतिमा पर चढ़ाए गए पुष्प ने क्रोधित होकर पुजारी से कहा, “तुम प्रतिदिन इस प्रस्तर प्रतिमा पर मुझे चढ़ाकर इसकी पूजा करते हो। यह मुझे कतई पसंद नहीं है। पूजा मेरी होनी चाहिये क्योंकि मैं कोमल, सुंदर, सुवासित हूँ। यह तो मात्र पत्थर की मूर्ति है।

मंदिर के पुजारी ने हँसते हुए कहा, हे पुष्प, तुम कोमल, सुंदर, सुवासित अवश्य हो पर तुम्हें ईश्वर ने ऐसा बनाया है। ये गुण तुम्हें सहजता से प्राप्त हुए हैं। इनके लिये तुम्हें कोई श्रम नहीं करना पड़ा है। पर देवत्व प्राप्त करना बड़ा कठिन काम है। इस देव प्रतिमा का निर्माण बड़ी कठिनाई से किया जाता है।
एक कठोर पत्थर को देव प्रतिमा बनने के लिये हजारों चोटें व पड़ी सहनी पड़ती है। चोट लगते ही अगर यह टूट कर बिखर जाता तो शायद यह कभी देव प्रतिमा नहीं बन सकता था। एक बार कठोर पत्थर देव प्रतिमा में ढल जाए तो लोग उसे बड़े आदर भाव से मंदिर में स्थापित कर प्रतिदिन उसकी पूजा अर्चना करते हैं। इस प्रस्तर की सहनशीलता ने ही इसे देव प्रतिमा के रूप में पूजनीय तथा वंदनीय बना दिया है।
यह सुनकर पुष्प मुस्कुरा दिया। वह समझ गया कि कठिन परीक्षा को सफलता पूर्वक पार करने वाला ही देवत्व प्राप्त करता है।
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