ओपिनियन- स्वतंत्रता के सत्तर साल- एक नई ऊर्जा

पंद्रह अगस्त का पावन दिन हमें यह अवसर देता है कि हम देश की वर्तमान परिस्थिति, उपलब्धि और चुनौतियों को समझें और भविष्य के लिए एक नया संकल्प लें। आज 2014 के लोकसभा चुनाव के पूर्व की स्थितियों का स्मरण जरूरी है।

ओपिनियन- स्वतंत्रता के सत्तर साल- एक नई ऊर्जा

देश में तब भयंकर निराशा और अंधकार का माहौल था। चारों ओर भ्रष्टाचार, ऊंचे पदों पर बैठे लोगों के आचरण और देश की साख के संबंध में ही सवाल उठ रहे थे। ऐसी स्थिति में नरेंद्र मोदी देश की आशा के प्रतीक बनकर उभरे और 30 वर्षों के बाद पहली बार केंद्र में एक दल को पूर्ण बहुमत मिला। इन तीन वर्षों के कार्यों की समीक्षा भविष्य की दिशा बताती है।

आज केंद्र सरकार सभी फैसले ईमानदारी से लेती है। यह बात उन लोगों को भी मालूम हो गई है, जो वर्षों से नई दिल्ली में अपने संपर्कों का दुरुपयोग कर भ्रष्ट तरीके से सरकारी निर्णयों को प्रभावित करते थे। आज एक नए प्रकार की ताजगी, निर्णयों में तेजी और सुशासन का प्रभाव साफ दिखता है। काले धन के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय सहयोग में सफलता, बेनामी संपत्ति अधिनियम को वर्षों के बाद प्रभावी बनाना, मनी लॉन्डरिंग ऐक्ट को सख्त करना, विमुद्रीकरण के जरिए काले धन पर चोट करना आदि साहसिक निर्णय भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकार के संकल्प को दर्शाते हैं।

भारत की अंतरराष्ट्रीय साख बहुत बढ़ी है और दुनिया भारत की आवाज आदर के साथ सुनती है। अमेरिका, रूस अथवा यूरोप के अलावा बड़ी संख्या में इस्लामिक अथवा मुस्लिम बहुल देश भारत के करीब आए हैं। अभी उरी, पठानकोट व अन्य पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादी गतिविधियों और उसके खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक के विषय में सऊदी अरब, ईरान, इराक, दुबई सहित सार्क के सभी देश (पाकिस्तान छोड़कर) भारत के साथ खड़े रहे।

यह भारत की एक बहुत बड़ी सफलता है। पाकिस्तान और चीन को छोड़कर आज पूरी दुनिया आतंकवाद के खिलाफ सघन कार्रवाई में भारत के साथ मजबूती से खड़ी है। जिस प्रभावी रूप से आतंकवादियों के खिलाफ कश्मीर में रोज कड़ी कार्रवाई हो रही है, अलगाववादियों की फंडिंग और उनके नेटवर्क को ध्वस्त किया जा रहा है, वह हमारी संकल्प शक्ति दिखाता है।

प्रधानमंत्री का स्पष्ट मानना है कि यह युग टेक्नोलॉजी का है और हमें इसका सदुपयोग करके आम लोगों के जीवन का विकास करना है। डिजिटल इंडिया, मेक इन इंडिया, स्किल इंडिया, स्र्टाटअप इंडिया, स्टैंडअप इंडिया और स्मार्ट सिटी ये सभी तकनीक आधारित विकास के कार्यक्रम हैं, जिनसे दूरगामी बदलाव होगा। कुछ सरल उदाहरणों से इसे समझा जा सकता है। आज 116 करोड़ से अधिक भारतीयों के पास आधार है और लगभग 118 करोड़ मोबाइल फोन हैं।

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तीन वर्षों में लगभग 29 करोड़ गरीबों के जन-धन बैंक अकाउंट खोले गए, जिनकी सुनवाई किसी बैंक में नहीं थी। आज जन-धन, मोबाइल और आधार के प्लेटफॉर्म से नरेंद्र मोदी की सरकार ने विभिन्न प्रकार की सब्सिडी, मनरेगा का भुगतान आदि सीधे गरीबों के बैंक खाते में भेजना शुरू कर दिया है।

अभी तक 2.16 लाख करोड़ रुपये गरीबों को भेजे गए हैं, जिसमें 57,000 करोड़ रुपये की बचत हुई, जो बिचौलिए और छद्म नाम से लूट लिया जाता था। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने कहा था- मैं  दिल्ली से एक रुपया भेजता हूं और जमीन पर 15 पैसे ही पहुंचते हैं। नरेंद्र मोदी की सरकार में दिल्ली से चले 100 रुपये सीधे करोड़ों गरीबों के बैंक खाते में जाते हैं। यही है डिजिटल इंडिया, जिसकी चर्चा आज पूरी दुनिया में हो रही है।

अगर विकास के कार्यों की सघन समीक्षा हो, तो परिणाम साफ दिखाई पड़ते हैं। 2017 में ग्रामीण सड़क योजना में प्रतिदिन 133 किलोमीटर सड़कें बन रही हैं, जो 2014 में सिर्फ 73 किलोमीटर बनती थीं। राष्ट्रीय राजमार्ग 2014 के 11.4 किलोमीटर की तुलना में 2017 में 16.6 किलोमीटर प्रतिदिन बन रहे हैं।

इनफॉरमेशन हाइवे पर भी पूरा ध्यान दिया गया है। देश के ढाई लाख ग्राम पंचायतों को ऑप्टिकल फाइबर से जोड़ने की योजना 2011 में शुरू हुई थी और वर्ष 2014 तक केवल 358 किलोमीटर केबल बिछा था, वहीं तीन वर्षों में 2,10,000 किलोमीटर केबल बिछा है और एक लाख ग्राम पंचायतें ऑप्टिकल फाइबर से जुड़ चुकी हैं।

डिजिटल साक्षरता अभियान के अंतर्गत छह करोड़ परिवारों को डिजिटली साक्षर करने की योजना है। छोटे शहरों में बीपीओ योजना के अंतर्गत आज सिलीगुड़ी, पटना, मुजफ्फरपुर, गाजीपुर, उन्नाव, इलाहाबाद, बरेली, अमरावती समेत देश के कई अन्य छोटे शहरों में बीपीओ स्थापित हो गए हैं या फिर जल्द ही स्थापित होने वाले हैं। डिजिटल पेमेंट और भीम एप एक आंदोलन बन चुका है। भारत में विकसित यह तकनीक बहुत सस्ती है।

आर्थिक क्षेत्र में भारत आज दुनिया के सबसे आगे बढ़ने वाले देशों में है। सबसे बड़ी मात्रा में विदेशी पूंजी निवेश भारत में हुआ है। उद्योग के क्षेत्र में भी अनेक सार्थक पहल हुई हैं। तीन वर्ष में मोबाइल फोन बनाने की 83 नई फैक्टरियां भारत में स्थापित हुई हैं। पूरी दुनिया भारत के आर्थिक विकास को एक प्रभावी उपलब्धि मानती है। समन्वय, समझदारी और सहयोग के साथ जीएसटी को सफलतापूर्वक लागू करना, हमारी सरकार की एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। लोगों की उद्यमशीलता को आगे बढ़ाने के लिए जिस प्रकार की नई नीतियां लाई गई हैं, उसका सीधा परिणाम बहुत बडे़ स्र्टाटअप आंदोलन के रूप में दिखाई पड़ता है।

नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री बनते समय दो आह्वान किए थे- ‘सबका साथ, सबका विकास’ और ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’। बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ, सुकन्या समृद्धि योजना और तीन तलाक के मुद्दों पर पीड़ित महिलाओं के साथ निर्णायक रूप से खड़े होकर हमने नारी न्याय, नारी गरिमा, और नारी समानता को एक नई ऊंचाई दी। भविष्य की हमारी दिशा स्पष्ट है। आने वाले पांच वर्षों में एक ऐसे भारत का निर्माण करना है, जो गरीबी से, भ्रष्टाचार से, जातिवाद से, संप्रदायवाद से और आतंकवाद से मुक्त हो। भारत की नियति दुनिया के बहुत बड़ी ताकत बनने की है। इस महान यज्ञ में 125 करोड़ भारतीय ‘सबका साथ, सबका विकास’ के मंत्र के साथ अपना योगदान दें, यही संकल्प आजादी के 70 वर्ष पूर्ण होने पर हमें लेना चाहिए।

(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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