ऑपरेशन ‘लोटस’ को लेकर बीजेपी ने दिया बड़ा बयान…
राज्य में दो निर्दलीय विधायकों के समर्थन वापस लेने के बाद 225 सदस्यीय विधानसभा में फिलहाल कुमारस्वामी सरकार को 117 विधायकों का समर्थन प्राप्त है। यह आंकड़ा बहुमत से चार ज्यादा है। माना जा रहा है कि पांच विधायक भाजपा के संपर्क में हैं। भाजपा यदि इन विधायकों को साध कर अविश्वास प्रस्ताव पेश करती है, तो बात बन जाएगी। मगर इसमें खतरा यह है कि ऐन मौके पर एक भी बागी विधायक ने पाला बदला, तो भाजपा को लेने के देने पड़ जाएंगे। यही कारण है कि पार्टी नेतृत्व सत्ताधारी गठबंधन के कम से कम दो-तीन और विधायकों के टूटने का इंतजार कर रहा है।
दरअसल भाजपा नेतृत्व को पता है कि ऑपरेशन लोटस को अमलीजामा पहनाने में चूक हुई, तो पार्टी की फजीहत होगी और लोकसभा चुनाव में इस पर असर पड़ेगा। इसलिए नेतृत्व चाहता है कि कुमारस्वामी सरकार पर ऐसे समय धावा बोला जाय जब चूक की कोई गुंजाइश न बचे। चूंकि पार्टी दो वर्ष पूर्व गुजरात राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस महासचिव अहमद पटेल से मात खाने के बाद आलोचनाओं का शिकार हो चुकी है, इसलिए पार्टी अब कोई खतरा नहीं उठाना चाहती।
गुरुग्राम में इसलिए विधायकों को इकट्ठा किया
पार्टी ने पूरी तरह सोची-समझी रणनीति के तहत अपने 104 विधायकों को गुरुग्राम के रिजॉर्ट में रखा है। इस मामले में पार्टी को जहां एक ओर कांग्रेस-जेडीएस के पलटवार का अंदेशा है, वहीं इससे यह सियासी धारणा भी बन रही है कि राज्य में विधायकों के तोड़फोड़ में कांग्रेस-जेडीएस भी लगी हुई है।
डी शिवकुमार ने संभाली सरकार बचाने की कमान
कांग्रेस के लिए कई बार संकटमोचक बन चुके वरिष्ठ नेता डी शिवकुमार की सरकार में शामिल विधायकों की निगरानी से विरोधी कैंप में चिंता है। कांग्रेस के पांच विधायकों के मुंबई में अचानक गायब होने के बाद सरकार बचाने की कमान शिवकुमार को मिल गई है। शिवकुमार अपनी पार्टी के ही नहीं, सरकार को समर्थन देने वाले बसपा विधायक पर भी नजर रखे हुए हैं। वहीं, भाजपा की केपीजेपी और निर्दलीय के एक-एक विधायकों को तोड़ने के बाद बसपा विधायक पर नजरें टिकी हैं।