ऐसे लोगों से कभी भूलकर भी न करें दोस्ती, वरना जीवन भर…

चाणक्य ने मानव समाज के कल्याण के लिए कई नीतियां बताईं। जिनका अनुसरण करके कोई भी अपने जीवन में आने वाली परेशानियों का हल निकाल सकता है। चाणक्य अपने समय के महान ज्ञाता, कुशल राजनीतिज्ञ और सफल अर्थशास्त्री थे। उन्होंने अपने जीवन के अनुभवों और अपनी बुद्धिमता से चाणक्य नीति ग्रंथ की रचना की। जिसमें कही गई बातें आज के समय में भी जीवन के हर एक मोड़ पर कारगर साबित होती हैं। जानिए चाणक्य की इन नीतियों में किस प्रकार के लोगों से मित्रता करना दुखदायी बताया गया है…

चाणक्य ने अपनी नीतियों में बताया है कि दुर्जन व्यक्ति के साथ कभी नहीं रहना चाहिए। क्योंकि ऐसे लोग सांप से भी ज्यादा खतरनाक होते हैं। सांप तो काल के वश में होकर व्यक्ति की मृत्यु आने पर उसे काटता है लेकिन दुर्जन व्यक्ति का कोई भरोसा नहीं। दुर्जन यानी दुष्ट व्यक्ति कभी भी धोखा दे सकते हैं।

मूर्ख व्यक्ति को चाणक्य ने पशु के समान बताया है। क्योंकि मनुष्य होकर भी जिनमें बुद्धि और विवेक नहीं है ऐसे लोग पशु के समान ही होते हैं। इसलिए इन लोगों की संगत आपके लिए नुकसानदेह हो सकती है। इसलिए एक कहावट प्रचलित है कि बुद्धिमान शत्रु अच्छा लेकिन मूर्ख मित्र नहीं।

चाणक्य कहते हैं कि असंतोषी और लोभी व्यक्ति के साथ भी कभी नहीं रहना चाहिए। मित्रता हमेशा ऐसे इंसान के साथ ही करनी चाहिए जो आपके समान हो। अपने से कमजोर और लालची व्यक्ति से कभी दोस्ती न करें। क्योंकि ऐसा व्यक्ति अपने फायदे के लिए कभी भी आपको छोड़ सकता है। किसी भी व्यक्ति पर आंख बंद करके भरोसा कभी न करें।

चाणक्य का ये भी कहना है कि जिस व्यक्ति में अहंकार भरा हो उसके साथ भी नहीं रहना चाहिए। क्योंकि ऐसे व्यक्ति आपको नीचा दिखाने के लिए कुछ भी कर सकते हैं। इसलिए उन लोगों से दोस्ती करनी चाहिए जिनमें न तो पैसों को लेकर अहंकार हो न ही विद्या को लेकर।

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