एनजीटी की सख्ती दिखाते हुए, छह फैक्ट्रियों पर 280 करोड़ रुपये का लगाया अर्थदंड, पढ़े पूरी खबर

गंगा में सीधे नाला गिरने, क्रोमियम वेस्ट डंप करने और उसे शिफ्ट करने की कार्रवाई न करने पर हरित विकास प्राधिकरण (एनजीटी) ने बड़ी कार्रवाई की है। क्रोमियम डंपिंग से पर्यावरण और जनस्वास्थ्य को हो रहे नुकसान को देखते हुए कानपुर देहात के रनियां की छह फैक्ट्रियों पर 280 करोड़ रुपये का अर्थदंड लगाया गया है। वहीं, डंप शिफ्ट न करने पर उत्तर प्रदेश शासन पर दस करोड़ रुपये और गंगा में प्रदूषण पर जल निगम एवं उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) पर एक-एक करोड़ रुपये का जुर्माना किया गया है। जुर्माने की रकम से प्रभावित क्षेत्रों में पर्यावरण एवं जनस्वास्थ्य सुधार किया जाएगा।

गांवों की खाली भूमि पर डंप किया क्रोमियम

कानपुर देहात के रनियां के खानचंद्रपुर गांव में छह औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाला क्रोमियम सल्फेट युक्त कचरा गांव में ही खाली पड़ी भूमि पर डंप किया जाता था। इससे आसपास के गांवों का भूजल दूषित हो गया और उसे पीने वाले ग्रामीण विभिन्न बीमारियों से ग्रस्त होने लगे। सरकार ने समस्या की गंभीरता देख वर्ष 2005 में औद्योगिक इकाइयां बंद कर दी लेकिन क्रोमियम कचरे का निस्तारण नहीं किया गया। इससे भूजल और प्रदूषित होता गया। एनजीटी ने मामले का संज्ञान लेकर क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और शासन से जवाब मांगा था। भूजल साफ करने व क्रोमियम कचरा हटाने के निर्देश दिए लेकिन आदेश का पालन नहीं हुआ। उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने क्रोमियम कचरे के निस्तारण और भूजल को स्वच्छ करने की योजना तैयार की लेकिन अमल नहीं हुआ। शासन ने क्रोमियम कचरे के निस्तारण की जिम्मेदारी एक औद्योगिक प्राधिकरण को सौंपी फिर भी कोई काम नहीं हुआ।

अभी भी वहां प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की बनाई गई डीपीआर का परीक्षण ही चल रहा है। पिछले माह एनजीटी की मॉनीटङ्क्षरग टीम ने स्थलीय निरीक्षण कर रिपोर्ट दी थी कि आदेश का पालन नहीं हुआ। आदेश के तहत ग्रामीणों को पाइप लाइन से पेयजल आपूर्ति की जानी थी। पंचायती राज विभाग ने इसे किया ही नहीं। ऐसे में एनजीटी ने सख्त रुख अख्तियार कर छह फैक्ट्रियों पर 280 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। यह राशि एक माह के अंदर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पास जमा करनी होगी।

गंगा में सीवरेज डालने पर जताई आपत्ति

एनजीटी ने यह भी पूछा है कि कानपुर नगर के जूही राखी मंडी में क्रोमियम कचरे से प्रभावित क्षेत्र में पाइप लाइन से पेयजल आपूर्ति की गई तो खानचंद्रपुर में ऐसा क्यों नहीं हुआ। एनजीटी ने जल निगम की गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई द्वारा नालों की सफाई के नाम पर गंगा में सीधे सीवरेज डाले जाने पर आपत्ति जताई है। एनजीटी के चेयरमैन जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि राखीमंडी और खानचंद्रपुर में 43 वर्षों की समस्या, क्षेत्रीय लोगों के स्वास्थ्य और जीवन पर ध्यान नहीं दिया गया। शासन स्तर से लापरवाही की गई। यह अधिकारियों की विफलता की तस्वीर पेश करती है। खानचंद्रपुर मामले में यूपीपीसीबी ने भी जिम्मेदारी नहीं निभाई। पर्यावरण क्षति का आकलन 2019 में किया गया। इस पर एनजीटी ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और गंगा को प्रदूषित करने पर जल निगम पर एक करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया। शासन को आदेश दिया कि वह दोषी अधिकारियों से जुर्माना वसूलने के लिए स्वतंत्र हैं। शासन जिम्मेदार अफसरों पर कार्रवाई कर सकता है।

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