एक अक्टूबर से इंडियन ओवरसीज बैंक (आईओबी) ग्राहकों को देगा रेपो दर पर से जुड़े ब्याज पर कर्ज

इंडियन ओवरसीज बैंक (आईओबी) ग्राहकों को एक अक्टूबर से रिजर्व बैंक के रेपो दर से जुड़े ब्याज पर ऋण देगा। आईओबी ने मंगलवार को कहा कि बैंक एक अक्टूबर से खुदरा कर्ज के तहत आवास, वाहन, शिक्षा कर्ज रेपो से संबद्ध ब्याज दर (आरएलएलआर) पर देगा। एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों) को दिया जाने वाला कर्ज भी इसी ब्याज दर पर दिया जाएगा।

रिजर्व बैंक ने सितंबर की शुरुआत में सभी बैंकों को पर्सनल या रिटेल लोन तथा एमएसमएई के लिये फ्लोटिंग रेट पर आधारित नये लोन को एक्सटर्नल बेंचमार्क से जोड़ने का सुझाव दिया था। ये एक्सटर्नल बेंचमार्क रेपो रेट, 3/6 महीने के ट्रेजरी बिल पर मिलने वाला ब्याज और फाइनेंशियल बेंचमार्क प्राइवेट लिमिटेड द्वारा प्रकाशित मानक हो सकते हैं।

रिजर्व बैंक ने चार सितंबर को सर्कुलर जारी कर कहा था कि ऐसा देखने को मिला है कि मौजूदा कोष की सीमांत लागत आधारित ऋण दर (एमसीएलआर) व्यवस्था में नीतिगत दरों में बदलाव का लाभ बैंकों ने संतोषजनक तरीके से ग्राहकों को नहीं दिया है। इसी को देखते हुए रिजर्व बैंक ने सर्कुलर जारी कर बैंकों के लिए सभी नए फ्लोटिंग दर वाले पर्सनल या रिटेल लोन और एमएसएमई को फ्लोटिंग दर वाले कर्ज को 1 अक्टूबर, 2019 से बाहरी मानक से जोड़ने को अनिवार्य कर दिया।

रिजर्व बैंक ने इस बात को लेकर काफी नाराजगी जाहिर की थी कि बैंक रेपो रेट में काफी कटौती किए जाने के बाद भी ब्याज दर कम नहीं कर रहे हैं। रिजर्व बैंक 2019 में चार बार रेपो रेट में कुल मिलाकर 1.10 प्रतिशत की कटौती कर चुका है। इस वित्त वर्ष में अप्रैल के बाद से अब तक केंद्रीय बैंक 0.85 प्रतिशत तक की कटौती कर चुका है।

रिजर्व बैंक का कहना है कि उसकी रेपो दर में 0.85 प्रतिशत कटौती के बाद बैंक अगस्त तक केवल 0.30 प्रतिशत तक ही कटौती कर पाए हैं। बैंकों का कहना है कि उसकी देनदारियों की लागत कम होने में समय लगता है जिसकी वजह से रिजर्व बैंक की कटौती का लाभ तुरंत ग्राहकों को देने में समय लगता है।

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