उदयपुर के डॉ. पीसी जैन दो हजार से अधिक मकानों में वह लगा चुके वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम

पेशे से चिकित्सक हैं उदयपुर के डॉ. पीसी जैन। पहले नशामुक्ति अभियान से जुड़े और पिछले डेढ़ दशक से भू-जल बचाने के लिए जद्दोजहद में लगे हुए हैं। शहर के दो हजार से अधिक मकानों में वह वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगा चुके हैं। इसीलिए तो वह उदयपुर के वाटरमैन कहलाते हैं।

जल बचाने को लेकर उनका जुनून कुछ इस कदर है कि अभियान को समय देने के लिए उन्होंने खुद का 8 बेड का हॉस्पिटल बंद कर दिया, अब सिर्फ परामर्श देते हैं। इकहत्तर वर्षीय डॉ. जैन लोगों के स्वास्थ्य का ख्याल तो रखते ही हैं। साथ ही प्रकृति के लिए सबसे जरूरी भू-जल को बचाने के लिए जुटे हुए हैं। वह मानते हैं कि बारिश के पानी को सहेज लिया जाए तो भूजल स्तर बना रहेगा। साथ ही शुद्ध पेयजल भी मिलेगा।

वह बताते हैं कि बरसाती पानी को बचाने के लिए उन्होंने डेढ़ दशक पहले अपने घर में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगवाया था। इससे पहले वह नशामुक्ति अभियान से जुटे हुए थे। इसके बाद उन्होंने बरसाती पानी बचाने के लिए काम करना शुरू कर दिया। डॉ. जैन बताते हैं कि एक हजार वर्गफीट की छत पर एक सेमी बारिश का पानी एकत्रित होता है तो एक हजार लीटर पानी ट्यूबवेल में संरक्षित होता है। वह अब तक दो हजार से अधिक लोगों के मकानों में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगा चुके हैं।

वह बताते हैं कि इनमें सर्वाधिक संख्या चिकित्सकों की है। असल में चिकित्सक होने के नाते चिकित्सकों ने उनकी बात ज्यादा समझी और उन्हें यह उपयोगी भी लगी। उदयपुर ही नहीं, गुजरात और मध्यप्रदेश के सैकड़ों चिकित्सकों के आवास, अस्पताल ही नहीं, बल्कि मेडिकल कॉलेजों में भी उन्होंने वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगवाए। अपने अभियान के दौरान कई कुओं, बावड़ी तथा सूख चुके हैण्डपंप को भी रिचार्ज करने में सफलता मिली। यहां तक उनके काम को देखने वर्ल्ड बैंक की टीम भी देखने आई और उन्होंने डॉ. जैन के काम को सराहा। यहां तक उन्हें स्पेशल प्रजेंटेशन के लिए अमेरिका बुलाया।

स्कूल-कॉलेज के बच्चों को जोड़ने में लगे उदयपुर के वाटरमैन डॉ. पीसी जैन अपने जल बचाओ अभियान में स्कूल और कॉलेज के विद्यार्थियों को जोड़ने  में लगे हैं। उनका मानना है कि यदि युवा उनके अभियान में उतर जाता है तो सफलता सौ कदम समीप आ जाएगी। इसीलिए वह स्कूल-कॉलेजों में संपर्क कर वहां सेमिनार आयोजित कर अपने अभियान से उन्हें जोडऩे के प्रयास में जुटे हुए हैं। अभी तक वह एक हजार से अधिक वर्कशॉप कर चुके हैं। इसमें स्कूल और कॉलेज प्रबंधन भी उन्हें सहयोग करता आया है।

जल संरक्षण के लिए डॉ. जैन ने कई जल गीत भी बनाए है। इसी तरह जल बचाने संबंधी कई नारे बना चुके। डॉ. जैन का कहना है कि यदि सभी एनजीओ एक-एक हैण्डपंप, बावड़ी और पुराने कुओं के रिचार्ज का जिम्मा ले तो

जलस्तर काफी हद तक बढ़ जाएगा।

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