इस बार 149 वर्षों के बाद गुरु पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण का अद्भुत संयोग, बुरे प्रभावों से बचने को करें ये उपाय

गुरु पूर्णिमा पर वर्ष का अंतिम चंद्रग्रहण। इस बार 149 वर्षों के बाद यह अद्भुत संयोग बनने जा रहा है। इससे पूर्व 12 जुलाई 1870 को गुरु पूर्णिमा वाले दिन चंद्र ग्रहण हुआ था। ज्योतिष विशेषज्ञों का कहना कि गुरु पूर्णिमा और मंगलवार का दिन होने के चलते चंद्र ग्रहण के कई नकारात्मक प्रभाव हावी नहीं होंगे।

श्री मेला राम मंदिर के प्रमुख पुजारी और ज्योतिषाचार्य पंडित भोला नाथ द्विवेदी ने बताया कि चंद्र ग्रहण 16 जुलाई को देर रात 1.31 बजे शुरू होकर 17 जुलाई तड़के 4.30 तक चलेगा। हालांकि इसका सूतक नौ घंटे पहले ही लग जाएगा। इस कारण लोगों को 16 जुलाई को दोपहर चार बजे तक ही गुरु पूजा करनी चाहिए। कारण, चंद्र ग्रहण के सूतक में पर्व व त्योहार प्रभावी नहीं होते। लिहाजा, सूतक से लेकर चंद्र ग्रहण की अवधि के दौरान पाठ पूजा-पाठ, दान-पुण्य व जरूरतमंदों की सेवा करना फलदायी होगा।

पूजा-पाठ से दूर करें आपदा

चंद्र ग्रहण के दुष्प्रभावों से बचने के लिए कुछ सावधानियां बरतें और पूजा-पाठ करें। इसके साथ ही नकारात्मक शक्तियों को कम करने के लिए जरूरतमंदों को दान करें।

बरतें ये सावधानियां

  • चंद्र ग्रहण के दौरान नाखून व बाल काटने से परहेज करें
  • गर्भवती महिलाएं घर से बाहर न निकलें
  • श्मशानघाट के नजदीक से गुजरने से परहेज करें
  • निंदा, चुगली और संभोग करने से परहेज करें
  • जरूरतमंद को दान दें और पूजा-पाठ करें

मंदिरों में होगा प्रतिमा स्नान

गुरु पूर्णिमा पर मंगलवार के दिन लग रहे चंद्र ग्रहण का प्रभाव 17 जुलाई तड़के 4.30 बजे तक रहेगा। हालांकि देर रात होने के चलते मंदिर के कपाट वैसे ही बंद रहेंगे। लिहाजा चंद्र ग्रहण पूरा होने के बाद मंदिरों में प्रतिमा को स्नान करवाकर शुद्ध किया जाएगा। पंडित बसंत शास्त्री बताते हैं कि चंद्र ग्रहण गुजरने के बाद भगवान की प्रतिमा को स्नान करना जरूरी होता है। इसकी घरों में भी पालना की जानी चाहिए।

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