इस बार शीतकाल में साधना के लिए किसी भी साधु-संन्यासी ने नहीं किया आवेदन….

गोमुख और तपोवन में इस बार शीतकाल में साधना के लिए किसी भी साधु-संन्यासी ने आवेदन नहीं किया है। वर्ष 1999 के बाद यह पहला मौका है, जब गोमुख क्षेत्र की गुफाओं में कोई भी साधु-संन्यासी साधना नहीं करेगा। हालांकि 25 साधु गंगोत्री से सटे इलाके में साधना करेंगे। गंगोत्री नेशनल पार्क के अधिकारी इसे बीते वर्ष हुई भारी  बर्फबारी से जोड़कर देख रहे हैं।

गंगोत्री के कपाट बंद होने के बाद मंदिर के पुरोहित, व्यापारी सभी निचले इलाकों में लौट आते हैं। कड़ाके की सर्दी के बावजूद गंगोत्री और आसपास के क्षेत्र में कुछ साधु संत तपस्या करने के लिए गंगोत्री नेशनल पार्क प्रशासन से अनुमति लेते हैं।

गंगोत्री नेशनल पार्क के उप निदेशक नंद बल्लभ शर्मा ने बताया कि शीतकाल में साधना करने वाले साधु-संन्यासियों को पार्क प्रशासन से अनुमति लेनी होती है। गंगोत्री से सटे साधना स्थल भी पार्क क्षेत्र में आते हैं। उन्होंने बताया कि आमतौर पर साधु-संन्यासी पार्क के गेट बंद होने की तिथि से पहले आवेदन कर देते हैं, लेकिन शनिवार को पार्क के गेट भी बंद कर दिए गए।

बावजूद इसके अभी तक गोमुख और तपोवन के लिए कोई आवेदन नहीं मिला। पिछले साल गोमुख और तपोवन क्षेत्र में 25 साधु-संत साधनारत थे। शर्मा ने बताया कि बीते वर्ष भारी बर्फबारी के बीच कई साधु-संतों को पार्क प्रशासन की टीम ने रेस्क्यू किया था।

उप निदेशक ने बताया कि भारी बर्फबारी के दौरान हिमस्खलन और बर्फीले तूफान का खतरा भी बना रहता है। इस बार साधु-संतों ने अपेक्षाकृत सुरक्षित गंगोत्री के आसपास के क्षेत्र को तवज्जो दी है। इस बार 25 साधु-संत ही गंगोत्री में तपस्या करेंगे। गौरतलब है कि गंगोत्री से गोमुख और तपोवन की दूरी क्रमश: 19 और 25 किलोमीटर है।

आस्था आध्यात्म और वैदिक संस्कृति का प्रतीक मां गंगा का उद्गम  क्षेत्र 

गंगोत्री घाटी की कंद्राओं में योग साधना का खास महत्व है। साधना के लिए यहां साधु  बड़े पत्थरों की आड़ में अपनी कुटिया बनाते हैं। साथ ही शीतकाल में जीवन जीने के लिए जरूरी सामान रखते हैं। गंगोत्री हिमालय में शिवलिंग चोटी का बेस कैंप तपोवन पहले से ही योग साधना के लिए खास रहा है।

1930-1950 के दौरान तपोवन में लंबे समय तक एक साधु ने साधना की थी, जो आगे चलकर तपोवन महाराज के नाम से प्रसिद्ध हुआ। यही नहीं, योग गुरु बाबा रामदेव ने भी 1992 से लेकर 1994 तक गंगोत्री में कंद्राओं में साधना कर आध्यात्मिक ज्ञान लिया था।

इनके साथ ही तपोवनी माता, स्वामी सुन्दरानंद, लाल बाबा, राम बाबा सहित कई प्रसिद्ध साधुओं ने यहां साधना की है। गंगोत्री नेशनल पार्क क्षेत्र में साधना के लिए साधुओं को पार्क कार्यालय में आवेदन करना पड़ता है। जिसमें अपनी पहचान संबंधित दस्तावेज जमा करने होते हैं। साथ ही इस शीतकाल के दौरान उच्च हिमालय में रहने के लिए जरूरी खाद्यान्न व कपड़े का भी इंतजाम करना पड़ता है।

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