इस बार के बजट में ये चाहता है रीयल एस्टेट सेक्टर, टैक्सों कटौती की भी लगाई उम्मीद

देश का अंतरिम बजट 1 फरवरी को पेश किया जाएगा। घरेलू अर्थव्यवस्था में करीब छह फीसद का योगदान देने वाले रीयल एस्टेट क्षेत्र को इस बार के बजट से कई उम्मीदें हैं। रीयल स्टेट सेक्टर ने बजट-2019 में स्टाम्प शुल्क को जीएसटी में शामिल करना, करों में सुधार, मकान खरीदने वालों की ओर से होम लोन पर चुकाए गए ब्याज पर टैक्स कटौती की सीमा बढ़ाने की सिफारिश की है। इस क्षेत्र की इकाइयां चाहती हैं कि रीयल सेक्टर पर लागू होने वाले टैक्स को ज्यादा तर्कसंगत बनाया जाए और इसके साथ-साथ बजट में किफायती दर की आवास परियोजनाओं को और प्रोत्साहन मिलना चाहिए।
रीयल एस्टेट सेक्टर के संगठन नारेडको के अध्यक्ष निरंजन हीरानंदानी ने व्यक्तिगत आयकर में होम लोन पर ब्याज की कटौती को सालाना तीन लाख रुपये तक करने की मांग की है। बता दें कि फिलहाल होम लोन पर चुकाए गए दो लाख रुपए तक के ब्याज की कटौती का लाभ मिलता है। उन्होंने कहा कि रीयल एस्टेट उद्योग बजट में करों को तर्कसंगत बनाने की उम्मीद कर रहा है।
निरंजन हीरानंदानी ने कहा कि इस बार के बजट से मुझे यह उम्मीद है कि इसमें स्टैंप शुल्क को जीएसटी के तहत लाया जएगा, साथ ही किरायेदरी की प्राप्ति पर निर्मणा सामग्री पर चुकाए गए करों का लाभ (आईटीसी) का प्रावधान किया जाएगा और 2022 तक सबको आवास के लक्ष्य के लिए किराए के माकनों की परियोजनाओं को प्रोत्साहन दिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि सिर्फ टैक्सेशन कम करना ही जरूरी नहीं है, बल्कि करों को तर्कसंगत बनाने से एक अनुकूल और सकारात्मक माहौल बनेगा, जिससे अर्थव्यवस्था में कारोबार के नए अवसर पैदा होंगे। सुपरटेक लि. के चेयरमैन आर के अरोड़ा के मुताबिक भारतीय रीयल एस्टेट क्षेत्र अर्थव्यवस्था के सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में से एक है। अरोड़ा ने कहा कि भारत की आजादी की 75वीं वर्षगांठ यानी 2022 तक सभी के लिए आवास के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए सरकार पिछले कुछ साल से इस क्षेत्र पर विशेष ध्यान दे रही है, लेकिन इस दिशा में अभी बहुत प्रयास करने बाकी हैं।

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