इन दो राज्यों में अपने दम पर चुनाव लड़ेगी आप सरकार, बताई ये बाई वजह

आम आदमी पार्टी (आप) लोकसभा चुनाव अकेले दम पर लड़ेगी। दिल्ली व पंजाब के कांग्रेस नेतृत्व के आप विरोधी रवैये ने इसमें बड़ी भूमिका अदा की है। पार्टी सूत्रों की मानें तो पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्र बाबू नायडू समेत दूसरे विपक्षी नेताओं की तरफ से आप के महागठंबधन में शामिल होने के नैतिक दबाव से भी छुटकारा मिल गया है।   इन दो राज्यों में अपने दम पर चुनाव लड़ेगी आप सरकार, बताई ये बाई वजह

सूत्र बताते हैं कि दोनों मुख्यमंत्रियों के अलावा डीएमके ने एम. स्टालिन, जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूख अब्दुल्ला समेत आप से सहानुभूति रखने वाले नेताओं का मानना था कि भाजपा विरोधी मतों का लोक सभा चुनाव में बंटवारा नहीं होना चाहिए। विपक्षी नेता आप नेतृत्व को बार-बार सलाह दे रहे थे कि वह महागठबंधन का हिस्सा बन जाएं। वहीं, आप नेताओं को एक धड़ा भी गठबंधन करने की वकालत कर रहा था। इसके पीछे की मूल मंशा पंजाब व दिल्ली में वोटों को बंटवारा रोकने की थी। इससे भाजपा को शिकस्त देने में मदद मिलेगी। हालांकि, पंजाब व दिल्ली इकाई गठबंधन के खिलाफ थी। 

बीते दिनों मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ बैठक में दोनों राज्यों के पदाधिकारियों ने कांग्रेस के साथ किसी भी तरह के गठबंधन का विरोध किया। पार्टी के एक पदाधिकारी ने बताया कि राज्य इकाइयों से चर्चा के बाद पार्टी रणनीतिकारों की भी राय थी कि कांग्रेस के साथ गठबंधन आप के लिए नुकसानदेह रहेगा। इससे स्थानीय स्तर पर काम करने वाले पार्टी पदाधिकारियों का उत्साह खत्म होगा। लेकिन बड़ी दिक्कत विपक्षी नेताओं की तरफ से गठबंधन करने के लिये डाले जा रहे नैतिक दबाव से थी। इससे पार्टी में असमंजस की स्थिति थी।      
 
सूत्रों की मानें तो बीते दिनों पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह व बुधवार को दिल्ली की नई प्रदेश अध्यक्ष ने जिस तरह से आप विरोधी बयान दिए हैं, उससे आप के ऊपर बना दबाव खत्म हो गया है। 

गोपाल राय की गठबंधन में शामिल होने पर राय
यह कहना बेहद कठिन है कि लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के साथ गठबंधन होगा या नहीं, लेकिन मौजूदा हालात में दिल्ली में सिर्फ आम आदमी पार्टी ही कांग्रेस को शिकस्त दे सकती है। कांग्रेस रेस में ही नहीं है।   

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