इन जगहों पर आकर देखें गांधी जी के जीवन से जुड़ी अनोखी झलकियां

महात्मा गांधी जब 30 जनवरी 1948 की शाम प्रार्थना के लिए जा रहे थे तब नाथूराम गोडसे ने गोली मारकर उनकी हत्या कर दी थी। गांधी जी की हत्या के मामले में नाथूराम समेत सात लोगों को आरोपी बनाया गया था। नाथूराम गोडसे को हत्या के लिए फांसी की सजा दी गई थी। भले ही गांधी जी आज हमारे बीच में नहीं हैं लेकिन उनके विचार और आदर्श आज भी हमारे दिलों में जिंदा है। तो अगर आप भी गांधी जी के विचारों और उनके सीधे-सरल जीवन से प्रभावित हैं तो भारत की इन जगहों को जरूर देखने जाएं।  

साबरमती आश्रम

अहमदाबाद से गांधी का खास जुड़ाव रहा है। अहमदाबाद में साबरमती नदी के किनारे गांधी जी का आश्रम बनाया था जिसे साबरमती आश्रम कहते हैं। इसे देखकर आप गांधी के रहन-सहन के बारे में काफी अच्छी तरह से जान सकते हैं। यहां पर महात्मा गांधी जी और उनकी पत्‍‌नी कस्तूरबा गांधी ने करीब 12 साल बिताए थे। गांधी जी को साबरमती संत नाम से भी बुलाते हैं। बापू ने आश्रम में 1915 से 1933 तक निवास किया। जब वे साबरमती में होते थे, तो एक छोटी सी कुटिया में रहते थे जिसे आज हृदय कुंज कहा जाता है। यहां आज भी उनका डेस्क, खादी का कुर्ता, उनके पत्र आदि मौजूद हैं। हृदय कुंज के पास नन्दिनी है। जो उनका अतिथि-कक्ष था। यहां पं. जवाहरलाल नेहरू, डॉ. राजेंद्र प्रसाद, सी.राजगोपालाचारी, दीनबंधु एंड्रयूज और रवींद्रनाथ टैगोर आदि ठहरते थे। वहीं विनोबा कुटीर है जहां आचार्य विनोबा भावे ठहरे थे। आश्रम में एक उद्योग मंदिर है जहां से चरखे द्वारा सूत कातकर खादी के वस्त्र बनाने की शुरुआत की गई थी। यह 17 जून, 1917 को बन कर तैयार हुआ था। मार्च 1930 में दांडी यात्रा की शुरुआत साबरमती आश्रम से हुई थी।

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पोरबंदर

पर्यटन के लिहाज से पोरबंदर एक खास जगह है। मोहनदास करमचंद गांधी को जानने की शुरुआत आप पोरबंदर से कर सकते हैं। इसका आधुनिक इतिहास महात्मा गांधी से जुड़ा है। यह जगह बापू की जन्मस्थली रहा है। पोरबंदर में महात्मा गांधी का बचपन बीता। यहां पर उनसे जुड़ी बहुत सी चीजें हैं। पोरबंदर स्थित कीर्ति मंदिर महात्मा गांधी को समर्पित एक खास स्मारक है। यह मंदिर तीन मंजिला है जिसे एक हवेली के रूप में बनाकर तैयार किया गया है। मंदिर की दिवारों को महात्मा गांधी और उनकी पत्नी कस्तूरबा गांधी के जीवन को चित्रों के माध्यम से देखा जा सकता है। इससे यह मंदिर एक तरह से संग्रहालय का काम करता है। यहां महात्मा गांधी के जन्म स्थान को स्वास्तिका के साथ चिन्हित किया गया है। शहर में स्थित श्री हरि मंदिर का लगभग 85 एकड़ भूमि में फैला हुआ है। यह मंदिर 105 फीट ऊंचा बना हुआ है और इसमें 65 स्तंभ हैं। अगर आप प्रकृति प्रेमी हैं और कुदरत की खूबसूरती को करीब से देखना चाहते हैं तो आप पोरबंदर पक्षी अभयारण्य की सैर का प्लान बना सकते हैं। एक वर्ग किमी में फैले यह अभ्यारण्य में फ्लेमिंगो, आईबीएस, कर्ल, फवल्स और टील्स जैसी पक्षी प्रजातियों को देख सकते हैं। पोरबंदर में भी चौपाटी नाम का खूबसूरत तटीय स्थल है।

दांडी

दांडी गांव भी राष्‍ट्रपि‍ता महात्‍मा गांधी जी के जीवन काल को बयां करने वाले खास जगहों में से एक है। आज दांडी अरब सागर के तट पर स्थित गुजरात राज्‍य का छोटा सा गांव है। गांधी जी द्वारा 12 मार्च को, 1930 को चलाई गई नमक सत्याग्रह परिणति का इस स्‍थान से सीधा जुड़ाव है। गांधी जी ने साबरमती से दांडी तक की करीब 268 किलोमीटर की यात्रा की थी। इस यात्रा को गांधी ने करीब 24 दिनों में पूरा किया गया। आज भी यहां पर बड़ी संख्‍या इत‍िहास प्रेमी आते हैं।

वाराणसी

महात्‍मा गांधी और वाराणसी का भी गहरा संबंध है। यहां पर गांधी जी के इत‍िहास को बयां करने वाले कई स्‍थान है। ज‍िस समय देश में असहयोग आन्दोलन चल रहा था उस समय वाराणसी में गांधी जी ने 1921 में काशी विद्यापीठ की आधारशिला रखी थी। इसका उद्देश्‍य छात्रों को शि‍क्षि‍त करने के साथ ही उनमें राष्ट्रीय भावना जागृत करना था। देश आजाद होने के बाद 1995 में यह गांधी जी को समर्पित कर द‍िया गया। इसका नाम महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ कर द‍िया गया।

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