इन कारणों की वजह से डॉक्टरों की हैंडराइटिंग होती है इतनी खराब

जब भी आप बीमार पड़ते हैं और डॉक्टर के पास जाते हैं तो डॉक्टर आपको प्रिस्क्रिप्शन पर क्या लिखकर देते हैं उसे पढ़ने में आपको भी 90 पर्सेंट टाइम्स जरूर तकलीफ होती होगी। प्रिस्क्रिप्शन को देखकर क्या आपके मन में भी यह सवाल उठता है कि आखिर सभी डॉक्टर्स की हैंडराइटिंग इतनी खराब क्यों होती है? आखिर डॉक्टर के पर्चे पर लिखी गई बातें पढ़ना इतना मुश्किल क्यों होता है? हम आपको बता रहे हैं 5 वजहें कि आखिर क्यों होती है डॉक्टरों की हैंडराइटिंग इतनी खराब…

आपको क्या लगता है डॉक्टर सिर्फ आपका ही प्रिस्क्रिप्शन लिखते हैं? डॉक्टरों के पास हर दिन न जाने कितने ही मरीज आते हैं और उन्हें हर मरीज के लिए अलग-अलग प्रिस्क्रिप्शन लिखना होता है। इस हिसाब से उनका लिखने का काम बहुत ज्यादा होता है। शायद यही वजह है कि डॉक्टर प्रिस्क्रिप्शन पर आपकी मेडिकल हिस्ट्री से जुड़ी बहुत कम बातें लिखते हैं।

डॉक्टरों के पास हर दिन कितने ही पेशंट्स आते हैं और उनके पास इतना टाइम नहीं होता कि वह हर पेशंट को पूरा समय दे पाएं और आराम से उससे बातें करते हुए उसका पर्चा तैयार करें। हकीकत ये है कि ज्यादातर डॉक्टर हड़बड़ी में रहते हैं क्योंकि उन्हें एक निश्चित समय में बहुत सारे मरीजों को अटेंड करना होता है। लिहाजा कम समय और हड़बड़ी की वजह से भी डॉक्टरों की लिखावट खराब हो जाती है।

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जरा सोचिए अगर एक डॉक्टर को हर दिन 30, 40, 50 मरीजों को देखना पड़े तो उनका दिन कितना तनावपूर्ण हो जाएगा। हर मरीज की बीमारी के बारे में सुनना, उसके बारे में प्रिस्क्रिप्शन पर लिखना और फिर बीमारी के मुताबिक सही दवाइयां प्रिस्क्राइब करना, ये कोई आसान काम नहीं है। रेग्युलर केसेज के साथ-साथ इमरजेंसी केस भी डॉक्टरों को देखना पड़ता है। इस वजह से भी डॉक्टरों की हैंडराइटिंग को पढ़ना मुश्किल हो जाता है।

आपने ध्यान दिया होगा ना कि जब स्कूल में परीक्षा होती थी तो पेपर लिखने की शुरुआत तो आप अच्छी हैंडराइटिंग से करते थे लेकिन पेपर खत्म होते-होते जब आप हड़बड़ी में लिखने लगते थे तो आपकी हैंडराइटिंग खराब हो जाती थी। ऐसा इसलिए होता था क्योंकि एग्जाम पेपर को खत्म करने की हड़बड़ी तो होती ही थी, साथ ही साथ आपके हाथों की मांसपेशियां भी लास्ट तक आते-आते थक जाती थीं, इसलिए लिखावट खराब हो जाती थी।

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