इतिहास के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है सिंगापुर

प्रियंका परमार
ट्रांसपोर्ट और टूरिज्म का हब कहा जाने वाला सिंगापुर फिलहाल इतिहास के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। कोरोना महामारी ने एशिया की व्यापार निर्भर अर्थव्यवस्था को खासा नुकसान पहुंचाया है, जिसमें सिंगापुर शामिल है।
अमीर देशों में शुमार सिंगापुर की हालत दिन-प्रतिदिन खराब होती जा रही है। मंदी की चपेट में सिंगापुर का आना पूरी दुनिया के अच्छा संदेश नहीं है। फिलहाल सरकारी आंकड़े बता रहे हैं कि आने वाला समय में भी सिंगापुर की अर्थव्यवस्था को रफ्तार नहीं मिलेगी।
कोविड-19 से बुरी तरह प्रभावित सिंगापुर को भले ही तालाबंदी में राहत मिल गई है लेकिन इससे उबर पाना उसके लिए आसान नहीं है। जानकारों के अनुसार सीमा पर कड़े प्रतिबंध, सोशल डिस्टेंसिंग के नियम और विदेशी कामगारों की कमी की वजह से अर्थव्यवस्था को रफ्तार मिलना आसान नहीं है।
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जानकारों का कहना है कि दूसरी तिमाही में सिंगापुर की मंदी का जो आकलन किया गया था, हकीकत में असर उससे कहीं ज्यादा है।
कोरोना वायरस से बुरी तरह प्रभावित देशों में शामिल सिंगापुर के लिए आने वाला समय कैसा होगा यह कोरोना महामारी पर निर्भर करता है। यह सच है कि जब तक इस दुनिया से कोरोना वायरस नहीं जाता है अर्थव्यवस्था को रफ्तार नहीं मिलेगी।
सिंगापुर की किसकी गलती का खामियाजा भुगत रहा है यह आने वाला समय बतायेगा, पर वर्तमान हालात और आने वाला समय अर्थव्यवस्था के लिए ठीक नहीं है। सरकारी द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक सिंगापुर की जीडीपी में दूसरी तिमाही में साल-दर-साल 13.2 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। वहीं संशोधित सरकारी आंकड़ों में मंगलवार को अग्रिम आकलन में 12.6 फीसदी की गिरावट दिखी।
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सरकार ने कोरोना वायरस का प्रसार रोकने के लिए तालाबंदी का सहारा लिया। यह तालाबंदी दूसे तिमाही में लगभग पूरे समय लागू रहा, जिसका असर अर्थव्यवस्था पर पड़ा। सिंगापुर के सेंट्रल बैंक ने मार्च में अपनी मौद्रिक नीति में थोड़ी राहत दी थी जबकि सरकार ने भी महामारी के प्रभाव को कम करने के लिए 100 अरब सिंगापुर डॉलर (72 अरब डॉलर) की राहत जारी की थी।
हाल-फिलहाल सरकार ने तालाबंदी से अधिकतर प्रतिबंध हटा लिए हैं पर वह रौनक नहीं दिख रही जो पहले सिंगापुर में दिखती थी। न तो सैलानियों की भीड़ दिख रही है और न ही व्यापारिक गतिविधियां।
जानकारों के मुताबिक सिंगापुर की जीडीपी में गिरावट की वजह से ग्लोबल फाइनेंस हब में दूसरी तिमाही में भी गिरावट जारी रही। पहली तिमाही में साल-दर-साल 0.3 फीसदी गिरावट और 3.1 फीसदी तिमाही-दर-तिमाही गिरावट, तकनीकी रूप से मंदी की निशानी है।
सरकार भी मानती है कि मई के बाद से सिंगापुर की अर्थव्यवस्था को लेकर दृष्टिकोण थोड़ा कमजोर हुआ है। व्यापार और उद्योग के स्थायी सचिव गैब्रिएल लिम ने एक ब्रीफिंग में कहा कि यह अब भी स्पष्ट नहीं हैं कि आने वाली तिमाही में कोरोना वायरस संक्रमण की स्थिति क्या रहेगी। इसी तरह घरेलू और वैश्विक अर्थव्यवस्था में आर्थिक सुधार के लिए क्या किया जाए इस पर भी अनिश्चितता
बरकरार है।
सिंगापुर की अर्थव्यवस्था पिछले तीन महीनों से सालाना और सीजनल स्थिति के समायोजित आधार पर 42.9 फीसदी गिर गई, यह भी एक रिकॉर्ड है। इसके साथ ही सरकार के शुरुआती अनुमानों में 41.2 फीसदी गिरावट के आंकड़े से भी अधिक है। ये आंकड़े विश्लेषकों के आकलन से मेल खाते हैं।
कोरोना महामारी से जूझ रही सरकार का कहना है कि अब उन्हें उम्मीद है कि पूरे साल का जीडीपी पांच से सात फीसदी के बीच होगा। पहले इसमें चार से सात फीसदी की गिरावट का अनुमान लगाया गया था। वहीं अर्थशास्त्रियों का कहना है कि “दूसरी तिमाही में गिरावट और पूरे साल के जीडीपी की ग्रोथ धीमे और सुस्त आर्थिक सुधार की ओर इशारा करती है।”
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इस हालात से जल्द निकलेगा सिंगापुर
भले ही सिंगापुर मंदी की चपेट में आ गया है और आगे भी राह आसान नहीं दिख रहा, पर सरकार के साथ-साथ यहां के लोगों को उम्मीद है कि सिंगापुर फिर अपना पहले वाला मुकाम हासिल कर लेगा। यह बातें इसलिए कही जा रही है क्योंकि सिंगापुर ने बहुत छोटे वक्त में तरक्की का जो मुकाम हासिल किया है वो किसी भी देश के लिए प्रेरणादायी है।
55 लाख की आबादी वाले सिंगापुर की चौड़ाई महज 48 किलोमीटर में सिमटी हुई है। यह देश न्यूयॉर्क के आधे क्षेत्रफल से भी छोटा है, लेकिन प्रति व्यक्ति आय के मामले में इस इलाके का कोई देश सामने नहीं टिकता है। दक्षिण-पूर्वी एशिया में सिंगापुर एकमात्र देश है जहां चीनी मूल के नागरिक सबसे ज़्यादा हैं।
सिंगापुर मलेशिया से अलग होकर 9 अगस्त 1965 को एक स्वतंत्र और संप्रभु राष्ट्र बना था। सिंगापुर का मलेशिया से अलगाव के मुख्य कारण आर्थिक और राजनीतिक मतभेद थे। मलेशिया से अलग होने के बाद सिंगापुर ने तरक्की की जो इबारत लिखी वह दुनिया के सभी देशों के लिए प्रेरणा बना। इसलिए यहां के लोगों को उम्मीद है कि यह समय भी निकल जायेगा और सिंगापुर एक बार फिर तरक्की की नई इबारत लिखेगा।
(प्रियंका सिंगापुर में रहती हैं। वह आईटी कंपनी में कार्यरत हैं। ) 

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