आसान भाषा में समझ लीजिए आम बजट और अंतरिम बजट में अंतर

आमतौर पर लोगों में पूर्ण बजट और अंतरिम बजट जिसे अंग्रेजी में वोट ऑन अकाउंट कहा जाता है को लेकर कन्फ्यूजन रहता है। अधिकांश लोगों को इन दोनों में स्पष्ट अंतर नहीं मालूम होता है। बजट सीरीज की इस स्टोरी में हम आपको इन्हीं दोनों के बीच के अंतर की जानकारी दे रहे हैं। गौरतलब है कि 1 फरवरी 2019 को अंतरिम बजट पेश किया जाना है।
क्या होता है आम बजट?
आम बजट में सरकार आने नए वित्त वर्ष का लेखा-जोखा पेश करती है। सरकार संसद को बताती है कि आने वाले एक साल में वह किस काम के लिए कितना पैसा खर्च करेगी। वैसे तो देश के संविधान में बजट शब्द का जिक्र नहीं है लेकिन जिसे हम बोलचाल की भाषा में आम बजट कहते हैं उसे संविधान के आर्टिकल 112 में वार्षिक वित्तीय विवरण कहा गया है। इसमें एक वित्त वर्ष के लिए अनुमानित प्राप्तियों और खर्चों का विस्तृत ब्योरा होता है।
अंतरिम बजट या वोट ऑन अकाउंट (Interim Budget/Vote on Account): लोकतांत्रिक देशों में चुनावी साल के दौरान सरकारें फुल बजट न पेश कर अंतरिम बजट पेश करती हैं। दरअसल यह बजट चुनावी वर्ष में नई सरकार के गठन तक खर्चों का इंतजाम करने की औपचारिकता होती है। इस बजट में ऐसा कोई भी फैसला नहीं लिया जाता है, जो नीतिगत और जिसे पूरा करने के लिए संसद की मंजूरी लेनी पड़े या फिर कानून में बदलाव की जरूरत हो। इस बजट में डायरेक्ट टैक्स में किसी तरह का बदलाव नहीं किया जाता, हालांकि सरकारें इंपोर्ट, एक्साइज या सर्विस टैक्स में राहत दे देती हैं। आम तौर पर हर सरकार की अपनी राजकोषीय योजनाएं होती हैं और वह उसी के मुताबिक धन का आवंटन करती हैं।
आम बजट और अंतरिम बजट में अंतर: आम बजट एक पूरे वित्त वर्ष के लिए पेश किया जाता है जबकि अंतरिम बजट कुछ ही महीनों के लिए पेश किया जाता है। गौरतलब है कि इस अंतरिम बजट के कुछ महीनों बाद नई सरकार की ओर से इसी वर्ष पूर्ण बजट भी पेश किया जाएगा।

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