आसपुर कोटां के पास सूखी सारसा नदी में अचानक आया ऊफान, बीच में फंस गए सात लोग, बड़ी मुश्किल से बची जान

यहां आसपुर कोटां के पास सूखी सारसा नदी में अचानक ऊफान आ गया। इस कारण नदी के पानी में सात लाेग फंस गए। ये लोग नदी के पास खेतों में धान की रोपाई करने गए थे और रात में खेत के पास बनी झोपड़ी में सो रहे थे। वे करीब आठ घंटे तक नदी के पानी में फंसे रहे। इसके बाद उनको गोताखोरों की मदद से निकाला गया।

जानकारी के अनुसार हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले के नालागढ़ क्षेत्र के गांव मगनपुर के बलविंदर सिंह की करीब 12 एकड़ जमीन पंजाब के रूपनगर जिले के आसपुर कोटां के पास है। यह जमीन सरसा नदी के ठीक किनोर है। बलविंदर सिंह दस दिन से अपने खेतों में धान की रोपाई करवा रहा था। शुक्रवार को भी वह मजदूरों को खेतों में छोड़कर गया था। रात जब मजदूर खेत के पास सो रहे थे तो हिमाचल प्रदेश में पहाड़ों पर बारिश के बाद सरसा नदी ऊफान पर आ गई और बलविंदर सिंह के खेत नदी के पानी में डूब गए।

इससे खेत के पास सो र‍हे सात मजदूर नदी के पानी के तेज बहाव के बीच घिर गए। तड़के करीब तीन बजे मजदूरों ने बलविंदर सिंह को मोबाइल फोन से इस बारे में सूचना दी। फिर बलविंदर सिंह ने दैनिक जागरण को फोन करके सबसे पहले सूचना दी और प्रशासन तक ये सूचना पहुंची। प्रशासनिक अधिकारियों ने तुरंत सिंचाई विभाग की टीम मौके पर भेजी।

अधिकारी भी मौके पर पहुंचे, लेकिन उनके पास मजदूरों को बचाने का कोई प्रबंध नहीं था। पहले पटवारी निशांत अग्रवाल और पटवारी गुरदीप सिंह, कानूनगो हरमेश सिंह मौके पर पहुंच गए। प्रशासन की टीम मौके पर इस उम्‍मीद में इंतजार करती रही कि नदी का पानी कम हो जाएगा। प्रशासन को कुछ करता नहीं देख किसान बलविंदर सिंह ने कहा कि अगर प्रशासन कुछ नहीं कर सकता तो वह खुद ही पानी में जाकर उन्हें बचाने का प्रयास करेगा। इसके बाद भरतगढ़ पुलिस ने गोताखोर बुलाए। मौके पर पुलिस भी पहुंच गई। कीरतपुर साहिब के एसएचओ सन्नी खन्ना और भरतगढ़ चौकी इंचार्ज सरताज सिंह की टीम पहुंच गई।

मौके पर जब प्रशासन की टीम में से शामिल एक अधिकारी ने किसान को कहा कि जब आपको पता है कि नदी उफान पर आ सकती है तो आप मजदूरों को क्यों खेतों में काम पर लगाकर गए। इस पर किसान बलविंदर सिंह ने बताया कि पिछले दो सीजनों में पहले धान फिर गेहूं की फसल नदी की बाढ़ की चपेट में आकर खराब हो गई थी। इस बार भी फसल खराब हो गई है। उन्होंने कहा कि उन्हें सरकार पांच हजार रुपये महीने की नौकरी ही दिला दे वह घाटे का सौदा खेती करना छोड़ देगा।

इसके बाद गाेताखाेरों को बुलाया गया। नदी में ऊफान के कारण गोताखोरों का भी खेतों तक पहुंचाना आसान नहीं था। किसान बलविंदर सिंह गोताखोर सुरेश व मालटा के साथ वहां तक गया जहां तक वह पानी में घुस पाया। उसने खेतों का रास्ता गोताखोरों को बताया। इसके बाद गोताखोरों ने एक-एक कर फंसे मजदूरों को निकाला।

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ये मजदूर बचाए गए

बचाए गए मजदूरों में मनजीत सिंह पुत्र भूमि सिंह, मुन्ना सिंह पुत्र राम जी सिंह, संतू सिंह पुत्र विजय सिंह, रमेश सिंह पुत्र उड़ैत नारायण, किशोरी पुत्र देवू, अरविंद सिंह पुत्र मन्ना सिंह, अशोक सिंह पुत्र मनक सिंह  शामिल हैं। ये सभी बिहार के अररिया के नरपतगंज के रहनेवाले हैं। मनजीत सिंह व अन्य मजदूरों ने कहा कि हमें बचने कर उम्‍मीद नहीं थी।

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