आशारोड़ी बैरियर पर परिवहन विभाग और रोडवेज की चेकिंग में दिल्ली जा रही ऐसी स्लीपर कोच बस पकड़ी गई

देहरादून से दिल्ली, जयपुर, आगरा आदि शहरों के लिए दौड़ रही डग्गामार बसों में न केवल नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं, बल्कि इनमें फर्जीवाड़ा भी जमकर हो रहा। इसका खुलासा उस समय हुआ जब आशारोड़ी बैरियर पर परिवहन विभाग और रोडवेज की चेकिंग में दिल्ली जा रही ऐसी स्लीपर कोच बस पकड़ी गई, जो उप्र में लोडर के रूप में दर्ज है।

टीम ने दिल्ली नंबर की एक डग्गामार वॉल्वो बस को भी सीज किया। दोनों बसों में परिवहन नियमों को ताक पर रख यात्रियों को ले जाया जा रहा था। इन बसों में न रजिस्ट्रेशन से जुड़े दस्तावेज मिले, न ही फिटनेस या बीमे के। इनमें सीटों की संख्या भी निर्धारित मानकों से ज्यादा मिलीं। दोनों बसें सीज कर इनके मालिकों के विरुद्ध मुकदमा भी दर्ज कराया जा रहा है।

दरअसल, इन दिनों देहरादून आइएसबीटी व इसके आसपास से संचालित होने वाली डग्गामार बसों व अन्य वाहनों के खिलाफ परिवहन विभाग व रोडवेज की संयुक्त टीमें चेकिंग अभियान चला रही हैं। शनिवार देर रात भी एक बस सीज की गई थी।

रविवार को टीमों को आइएसबीटी के पास कोई भी बस नहीं मिली तो टीम ने दिल्ली हाईवे पर आशारोड़ी चेकपोस्ट पर चेकिंग की। बताया गया कि रात करीब नौ बजे दो बसें पकड़ी गईं। दोनों सहस्रधारा के डिगलिंग से दिल्ली जा रही थी। एक बस लक्ष्मी हॉलीडे ट्रेवल्स अलीगढ़ की (यूपी81-बीटी-1746) की स्लीपर कोच थी, जबकि दूसरी बेदी ट्रेवल्स दिल्ली की (डीएल1पीडी-0259) के नाम पर दर्ज वॉल्वो थी। जांच में हॉलीडे ट्रेवल्स की बस उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में लोडर के नंबर पर दर्ज मिली। जिसका पंजीकरण और फिटनेस 2018 में खत्म हो चुका है।

सीटें भी ज्यादा, लंबाई ने तोड़े मानक

रोडवेज महाप्रबंधक दीपक जैन ने बताया कि नियमानुसार बस की लंबाई 12 मीटर तक होती है। चेकिंग में पकड़ी गई लक्ष्मी ट्रेवल्स की बस की लंबाई 15 मीटर मिली। यह बस दून में कैसे चल रही थी। यही नहीं यह बस नियमों के तहत 38 सीट में पास होनी चाहिए, लेकिन बस में 48 सीटें मिलीं। बेदी ट्रेवल्स में चल रही वॉल्वो बस का पंजीकरण तो सही था, लेकिन सीटें ज्यादा मिलीं। बस 41 सीट में पास है लेकिन मिलीं 42 सीटें।

कर्नाटक व राजस्थान के पास हैं स्लीपर

रोडवेज के महाप्रबंधक दीपक जैन ने बताया कि मोटर वाहन अधिनियम के तहत अभी तक केवल कर्नाटक व राजस्थान ही दो ऐसे राज्य हैं, जहां स्लीपर कोच बसों को रजिस्ट्रेशन मंजूरी मिली है। किसी अन्य राज्य में अभी तक इनका रजिस्ट्रेशन मंजूर नहीं है। इसके बावजूद उत्तर प्रदेश के नंबर पर फर्जी तरीके से स्लीपर कोच बसें चलाई जा रही हैं।

रद की बुकिंग

चेकिंग को देखते हुए दून से संचालित ज्यादातर डग्गामार स्लीपर व एसी बसों के संचालकों ने बुकिंग रद कर बसों को यहां-वहां छुपा दिया। बुकिंग रद होने से यात्रियों में मारामारी मच गई। स्थिति यह रही कि निजी संचालकों ने यात्रियों से लिया किराया भी वापस नहीं किया।

यात्री इधर से उधर दौड़ते रहे और रोडवेज अफसरों से बसों की व्यवस्था के लिए फोन करते रहे। बाद में रोडवेज की अतिरिक्त वॉल्वो व एसी बसें आइएसबीटी पर लगाई गई व यात्रियों को इनसे भेजा गया। इस कारण रविवार की रात रोडवेज की ज्यादातर बसें फुल रहीं।

किसके संरक्षण में चल रहीं ये बसें

डग्गामार बसें खुलेआम आइएसबीटी के बाहर से संचालित होती हैं। इंटरनेट पर इन बसों के टिकट ऑनलाइन बुक होते हैं मगर न इनके विरुद्ध परिवहन विभाग कोई कदम उठाता, न पुलिस-प्रशासन। रोडवेज प्रबंधन की ओर से शासन स्तर तक यह शिकायत भेजी जा चुकी है। एक दफा मुख्य सचिव ने अवैध संचालन रोकने को आइएसबीटी चौकी पुलिस की जिम्मेदारी तय की थी पर पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की।

सवाल ये उठ रहा कि खुलेआम ये बसें आखिर कैसे और किसके संरक्षण में दौड़ रहीं। इसमें न केवल आइएसबीटी पुलिस बल्कि प्रशासन व परिवहन विभाग पर भी सवाल उठ रहे हैं।

नहीं मिलेगा बीमा क्लेम

स्थिति ये है कि अगर ये बसें हादसे का शिकार हो जाएं तो यात्रियों को बीमा क्लेम तक नहीं मिलेगा। दरअसल, ये बसें बगैर रजिस्ट्रेशन, फिटनेस या बीमे के दौड़ रही हैं। ऊपर से फर्जीवाड़ा अलग किया जा रहा है।

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