आरक्षण के मुद्दे पर: साकारात्मक हल नहीं निकलने से गुर्जर समाज एक बार फिर आक्रोश में…..

गुर्जर समाज एक बार फिर आरक्षण के मुद्दे पर सरकार से दो-दो हाथ करने को तैयार हो रहा है. बता दें कि दौसा के सिंकदरा में गुर्जर समाज पिछले आठ दिन से धरने पर बैठे है. यहां तक कि शुक्रवार को जिला अधिकारी और धरने पर बैटे गुर्जरों को बीच बातचीत भी हुई थी, लेकिन मामले का कोई हल नहीं निकल पाया. वहीं प्रशासन से बातचीत का कोई साकारात्मक हल नहीं निकलने से गुर्जर समाज एक बार फिर आक्रोश में नजर आ रहा है.

खबर के मुताबिक गुर्जर समाज ने सरकार को शनिवार शाम तक का समय दिया है. अगर सरकार ने गुर्जरों की नहीं सुनी तो वह एक बार फिर प्रदेश में बड़े आंदोलन की शुरूआत कर सकते हैं. साथ ही गुर्जरों ने 17 जून को सिकंदरा मे माहापंचायत करने का आह्वान किया है. पंचायत में लोगों के बुलाने के लिए पर्चे ओर पीले चावल बांटे जा रहे हैं. वहीं जानकारों का कहना है कि अगर यह आंदोलन हुआ तो सरकार की मुश्किल तो बढेगी ही साथ ही सड़क और पटरी जाम होने पर आमजन भी खासे परेशान होंगे.

गौरतलब है कि पहली बार राज्य सरकार ने 2008 में गुर्जरों को आरक्षण देने के लिए विधेयक लाई थी. जिसमें कुल आरक्षण 68 प्रतिशत हो गया था. इस विधेयक के अनुसार ईबीसी को 14, 5 प्रतिशत एसबीसी, 21 प्रतिशत ओबीसी, 16प्रतिशत एससी, 12 प्रतिशत एसटी को आरक्षण देने का प्रावधान रखा गया था. लेकिन कोर्ट ने यह कहते हुए रोक लगाया कि उसमें आरक्षण प्रतिशत तय सीमा को पार कर रहा है.

वहीं, 2008 में कोर्ट के स्टे के बाद राज्य सरकार 2012 में भी इसका नोटिफिकेशन लाई थी. जिसमें गुर्जर समेत एसबीसी की पांचों जातियों को 5 प्रतिशत आरक्षण दिया गया था. लेकिन इसे भी कोर्ट में चैलेंज किया गया और कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी थी. जबकि 2015 में भी राज्य सरकार ने गुर्जरों को आरक्षण देने के लिए विधेयक लाई थी. लेकिन कोर्ट ने ओबीसी कमीशन की रिपोर्ट को सही नहीं माना और आरक्षण को खारिज कर दिया. इसके बाद 2018 में राजस्थान सरकार गुर्जर आरक्षण के लिए विधेयक लेकर आई थी. विधेयक सदन में पास भी हो गया. लेकिन कुछ दिनों बाद ही हाईकोर्ट ने इस पर रोक लगा दी.

जिसके बाद राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट में गई, लेकिन वहां भी कोर्ट ने आरक्षण 50 प्रतिशत ज्यादा होने पर इसके लागू होने पर रोक लगा दी. कोर्ट की रोक के बाद गुर्जरो को आरक्षण देने के लिए राज्य सरकार ने मोर बैकवर्ड क्लास बनाया, जिसमें उनके लिए 1% आरक्षण का प्रावधान किया गया. अब राजस्थान में नई सरकार के आते ही गुर्जरों ने सरकार को घेरना शुरू कर दिया है. इससे पहले भी वसुंधरा सरकार के आखिरी में गुर्जरों ने आंदोलन की धमकी दी थी, लेकिन जब तक गुर्जर आंदोलन करते तब तक राज्य में आचार संहिता लग चुकी थी.

 

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