आयुष्मान भारत के 68 प्रतिशत लाभार्थियों का निजी अस्पताल में हो रहा इलाज

23 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आयुष्मान भारत कार्यक्रम को लांच किया था। इसके तहत अबतक 2.3 लाख लाभार्थियों यानी 68 प्रतिशत लोग निजी अस्पताल में भर्ती हैं और वहां अपना इलाज करवा रहे हैं। जिसमें सबसे ज्यादा लोग गुजरात, तमिलनाडु, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल के हैं। इस योजना के तहत 2,32,592 लाभार्थियों का निजी अस्पताल में इलाज चल रहा है। जबकि इस योजना को शुरु हुए दो महीने भी नहीं हुए हैं। आयुष्मान भारत के 68 प्रतिशत लाभार्थियों का निजी अस्पताल में हो रहा इलाज

राष्ट्रीय स्वास्थ्य एजेंसी (एनएचए) द्वारा संकलित डाटा के अनुसार ओरल और मेक्सिलोफेशियल सर्जरी, जनरल सर्जरी, ओपथालमोलोजी और गायनोकोलॉजी से संबंधित बीमारियों का लाभार्थियों ने इलाज कराया है। इनमें हेड सर्जरी भी शामिल है जिससे इस बात की संभावना है कि दुर्घटना मामलों की एक बड़ी संख्या ने योजना के तहत दावा किया है। 

डाटा दिखाते हैं कि एनएचए को अस्पताल मनोनयन के लिए 55,482 आवेदन मिले हैं। जिसमें से लगभग 15000 अस्पताल का मनोनयन कर दिया गया है या फिर उसके अप्रूवल के लिए काम जारी है। मनोनयन होने वाले 8000 अस्पताल निजी क्षेत्र के हैं। आयुष्मान भारत के उपमुख्य कार्यकारी अधिकारी दिनेश अरोड़ा ने कहा, ‘दिल्ली और महानगरों में लागत के मामले प्रारंभिक होते हैं क्योंकि यहां सेवा और मानव संसाधन बहुत महंगा है। नहीं तो हरियाणा, यूपी, झारखंड और छत्तीसगढ़ के शहरों में जबर्दस्त प्रतिक्रिया मिली हैं।’ 

आयुष्मान भारत के जरिए केंद्र सरकार लोगों की पहुंच स्वास्थ्य देखभाल तक करवाना चाहती है और फिजूलखर्चों को कम करना चाहती है। अरोड़ा ने कहा, ‘हमारा लक्ष्य तीसरी श्रेणी की बीमारियों के इलाज को सालाना 6000-7000 बढ़ाना चाहते हैं।’ आयुष्मान भारत का लक्ष्य लगभग 50 करोड़ लाभार्थियों को सुरक्षा बीमा के दायरे में लाना है। इसके तहत गरीब परिवारों को 5 लाख रुपये का कैशलेस स्वास्थ्य बीमा दिया जाएगा।

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