आम चुनाव 2019: सीखे राजनीति के सबक फिर चार बार बनीं सीएम : मायावती

नई दिल्ली। राजनीतिक जीवन के लंबे अनुभवों से गुजरने वाली मायावती 1989 में पहली बार सांसद बनी थीं। 1995 में वह अनुसूचित जाति की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं। राजनीति में उनका प्रवेश कांशीराम की विचारधारा से प्रभावित होकर हुआ। राजनीति में आने से पहले मायावती शिक्षिका थीं। उत्तर प्रदेश की चार बार मुख्यमंत्री रहीं मायावती 2019 के लोकसभा चुनाव में शक्ति प्रदर्शन के लिए तैयार हैं।
आपको बता दें कि मायावती यूपी में समाजवादी पार्टी के साथ मिलकर 17वां लोकसभा चुनाव लड़ रही हैं। 21 मार्च 1997 को मायावती ने दूसरी बार यूपी की मुख्यमंत्री की कमान संभाली। 3 मार्च 2002 को मायावती तीसरी बार यूपी की मुख्यमंत्री बनीं और 26 अगस्त 2002 तक पद पर रहीं। 13 मई 2007 को मायावती ने चौथी बार सूबे की कमान संभाली और 14 मार्च 2012 तक मुख्यमंत्री रहीं।
ये भी पढ़ें : प्रियंका के काशी पहुचने पर लगे ‘मोदी-मोदी’ के नारे, भिड़े भाजपा-कांग्रेस के समर्थक 
स्कूल शिक्षिका से बसपा प्रमुख तक का सफर
जानकारी के अनुसार मायावती राजनीति में आने से पहले स्कूल में पढ़ाती थीं। 1984 में वह शिक्षिका की नौकरी छोड़ बसपा की पूर्णकालिक सदस्य बन गईं। उनकी कड़ी मेहनत की बदौलत 1989 में ‘बहुजन समाज पार्टी’ ने 13 सीटों पर चुनाव जीता और मायावती पहली बार सांसद बनीं। 1995 में वह उत्तर प्रदेश की गठबंधन सरकार में मुख्यमंत्री बनाई गईं।
जानकारी के अनुसार 2001 में बसपा प्रमुख एवं पार्टी संस्थापक कांशीराम ने मायावती को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया। 2002-2003 के दौरान भारतीय जनता पार्टी की गठबंधन सरकार में मायावती फिर से मुख्यमंत्री बनीं, भाजपा ने समर्थन वापस लिया तो मायावती की सरकार गिर गई और सूबे की कमान मुलायम सिंह यादव के हाथों में चली गई, मायावती 2007 के विधानसभा चुनाव जीतकर फिर से सत्ता में लौटी और यूपी की कमान संभाली।
बता दें कि 2012 के विधानसभा चुनाव में मायावती की बहुजन समाजवादी पार्टी चुनाव हार गई और यूपी की कमान अखिलेश यादव के हाथों में आई। मायावती इस वक्त राज्यसभा सांसद हैं। उनकी राजनीति कई आयामों में सिमटी हुई है।
ये भी पढ़ें : Live : पीएम के ब्लॉग पर प्रियंका का हमला – जितना प्रताड़ित करेगें उतना जोर से लड़ेंगे 
राजनीतिक टाइमलाइन

1984 में मायावती बसपा में शामिल हुईं।
1989 में मायावती ने नौवां आम चुनाव जीता, पहली बार सांसद बनीं।
1994 में पहली बार राज्यसभा पहुंची।
1995 में वह अनुसूचित जाति की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं।
1996 से 1998 तक विधायक रहीं।
21 मार्च 1997 को दूसरी बार यूपी की मुख्यमंत्री बनीं।
1998 में 12वीं लोकसभा के लिए दूसरी बार चुनी गईं।
वह उत्तर प्रदेश की अकबरपुर से चुनाव जीतीं और सांसद बनीं।
1999 में मायावती 13वीं लोकसभा के लिए तीसरी बार चुनी गईं।
15 दिसंबर 2001 को कांशीराम ने मायावती को बसपा की कमान सौंपी।
फरवरी 2002 में मायावती फिर से यूपी विधान परिषद की सदस्य चुनी गईं।
मार्च 2002 में मायावती ने अकबरपुर लोकसभा सीट से इस्तीफा दे दिया।
3 मार्च 2002 को मायावती तीसरी बार यूपी की मुख्यमंत्री बनीं और 26 अगस्त 2002 तक सीएम रहीं।
18 सितंबर 2003 को मायावती बहुजन समाजवादी पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष बनीं।
2004 में मायावती 14वीं लोकसभा के लिए अकबरपुर लोकसभा सीट से चुनाव जीतीं और चौथी बार सांसद बनीं।
2004 में मायावती ने लोकसभा से इस्तीफा दिया और दूसरी बार राज्यसभा सांसद बनी।
27 अगस्त 2006 में मायावती दूसरी बार पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनी गईं।
13 मई 2007 को मायावती चौथी बार उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनीं और 14 मार्च 2012 तक सीएम रहीं।
2012 के विधानसभा चुनाव में मायावती की बहुजन समाजवादी पार्टी हार गई।

Back to top button