आम आदमी पार्टी ने किया बड़ा एलान, पंजाब में अब अकेले ही चुनाव लड़ेगी AAP

आगामी लोकसभा चुनाव 2019 की तैयारियों को लेकर दिल्ली में आम आदमी पार्टी (AAP) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक शुक्रवार को अरविंद केजरीवाल के आवास पर हुई। जानकारी के मुताबिक, इस बैठक में पार्टी ने उन सभी बिंदुओं को चिन्हित करने की कोशिश की जिनके आधार पर वह अगले लोकसभा चुनाव में सफलता प्राप्त कर सकती है।आम आदमी पार्टी ने किया बड़ा एलान, पंजाब में अब अकेले ही चुनाव लड़ेगी AAP

पंजाब में नहीं होगा किसी पार्टी से गठबंधन
वहीं, आम आदमी पार्टी के पंजाब से सांसद भगवंत मान ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आवास पर कहा कि आगामी लोकसभा चुनाव पंजाब में पार्टी अपने दम पर लड़ेगी। उन्होंने पंजाब में कांग्रेस के साथ गठबंधन के सवाल पर कहा कि आप कांग्रेस के साथ गठबंधन नहीं करेगी। उन्होंने कहा कि पंजाब विधानसभा में हम विपक्ष में हैं, कांग्रेस वहां सत्ता में है। विपक्ष और सत्ता पक्ष एक साथ कैसे आ सकते हैं? उन्होंने दावा किया कि पार्टी का आधार वहां मजबूत है। मान ने भाजपा पर भी तंज कसते हुए कहा कि भाजपा नेताओं में अहंकार है, यही उसे ले डूबेगा।

AAP ने प्रभारियों को ही दिया
आम आदमी पार्टी (AAP) ने भले लोकसभा प्रत्याशी घोषित नहीं किए हैं, लेकिन माना जा रहा है कि लोकसभा प्रभारी ही प्रत्याशी होंगे। इन्हीं प्रभारियों को चुनाव जीतने का लक्ष्य निर्धारित कर दिया गया है। पार्टी ने टीमें भी गठित कर दी हैं। विधानसभा क्षेत्र के बाद वार्ड स्तर पर कमेटी बनाई गई है। कालोनी स्तर पर कार्यकर्ता नियुक्त हैं, वे कालोनी की गतिविधियों पर नजर रखेंगे। ये जनता की समस्याओं को पार्टी विधायकों के साथ लोकसभा प्रभारियों तक पहुंचा रहे हैं।

पार्टी के दिल्ली संयोजक गोपाल राय कहते हैं कि पिछले एक साल में संगठन को मजबूत करने के लिए कई प्रयास हुए हैं। हमारा प्रयास है कि हर गली मोहल्ले में आम आदमी पार्टी के सक्रिय कार्यकर्ता हों। ये कार्यकर्ता सरकार की नीतियों और कार्यों को घर घर पहुंचाएं और जनता की समस्याओं को पार्टी के लोकसभा प्रभारियों और विधायकों व निगम पार्षदों तक पहुंचाएं। 

वहीं, AAP किसान नेता रामपाल जाट ने कहा कि भाजपा और कांग्रेस दोनों ने ही किसानों के साथ धोखा किया है। भाजपा ने फसल बीमा योजना के नाम पर जबरदस्ती किसानों के खातों से प्रीमियम के पैसे तो काट लिए, लेकिन कई राज्यों में किसानों की फसलें बर्बाद हुई हैं। लेकिन उन्हें जो मुआवजा मिलना चाहिए था, वह नहीं दिया गया। किसानों से प्रीमियम के रूप में लिया गया था उसका 83 फीसदी हिस्सा बीमा कंपनियों की जेब में चला गया जबकि किसानों को केवल 17 फीसदी पैसा ही मिला।

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