आप से अलग होकर सुखपाल खैरा ने किया पंजाबी एकता पार्टी का एलान…

लोकसभा चुनाव 2019 के मैदान में एक और पार्टी कूदने को तैयार हो गई है क्योंकि सुखपाल खैरा ने नई सियासी पार्टी का एलान कर दिया है। मंगलवार को एक प्रेस कांफ्रेंस करके सुखपाल खैरा ने पंजाबी एकता पार्टी बनाने की घोषणा कर दी। साथ ही शुरुआती संगठनात्मक ढांचे के बारे में भी बताया। इस मौके पर ‘आप’ के बाकी 6 विधायक भी पहुंचे। हालांकि वे स्टेज पर नहीं आए, लेकिन उन्होंने कहा कि वे बधाई देने आए हैं।आप से अलग होकर सुखपाल खैरा ने किया पंजाबी एकता पार्टी का एलान...

खैरा ने दावा किया कि उनकी पार्टी एक मजबूत क्षेत्रीय ताकत बन कर उभरेगी। परंपरागत पार्टियां दशकों से लोगों के मुद्दों को दरकिनार कर लूटखसोट में लगी हैं। हम लोगों को तीसरा विकल्प देंगे। भगवंत मान कह रहे हैं कि सीट क्यों नहीं छोड़ते। जब पार्टी की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया तो सीट तो छोड़ी ही जा चुकी है। 

खैरा ने कहा कि केजरीवाल के नेतृत्व में सभी 117 सीटों पर चुनाव लड़ा गया था, बाकी 97 के हारने की जिम्मेदारी किसकी है। भुलत्थ हलके की सियासत में उनका परिवार आधी सदी से सक्रिय है, लोगों ने उनके किरदार पर वोट दिए हैं।

खैरा ने कहा कि हरपाल चीमा ज्यादा बोल रहे हैं, अगर 1-2 एमएलए और चले गए तो एलओपी का पद भी जाएगा। खैरा ने कहा कि उनकी सदस्यता पर स्पीकर जो फैसला करेंगे, वह तैयार हैं, चुनाव से नहीं भागते।

मास्टर बलदेव के इस्तीफे की चर्चाओं पर खैरा ने कहा कि अभी नहीं दिया है। अगर आप को एलओपी पद गवांकर शांति मिलती है तो दिला देते हैं। इन्हें नजर नहीं आ रहा, पर वह नहीं चाहते कि किसी गलती से एलओपी पद सुखबीर को मिल जाए।

उनके गुट के सात विधायक हैं, पर वह बेवजह उप चुनाव नहीं चाहते। मनीष सिसोदिया पर तंज करते हुए उन्होंने कहा कि बाकी सब लोग पद के लालच में आए थे, सिर्फ इन लोगों को पद नहीं चाहिए। केजरीवाल संविधान में संशोधन कर लगातार तीसरी बार कन्वीनर बने हैं, सीएम भी हैं।

चुनाव पर पीडीए लेगा फैसला

सुखपाल खैरा ने कहा कि पंजाब डेमोक्रेटिक अलायंस बन चुका है जिसमें उनके गुट के अलावा लोक इंसाफ पार्टी, बसपा और डॉ. धरमवीर गांधी हैं। 11-12 को लुधियाना में मीटिंग है जिसमें तय किया जाएगा कि लोकसभा चुनाव लड़ना है या नहीं और कितनी सीटों पर लड़ना है। लोकसभा चुनाव के बाद पंजाब की सारी हमखयाली पार्टियों को एक प्लेटफार्म पर लाने की कवायद तेज की जाएगी।

भगवंत मान को दी चुनौती
सुखपाल खैरा ने भगवंत मान को चुनौती दी कि वह 20 की अरविंद केजरीवाल की रैली के दौरान मंच से बोलें कि वह माफी से सहमत हैं या नहीं। उन्होंने कहा कि मान कहते हैं कि प्रधानगी से इस्तीफा दे दिया। फिर कहते हैं कि केजरीवाल से इस बारे में बात नहीं हुई। एक साल में वह केजरीवाल से पूछ ही नहीं सके कि बिक्रम मजीठिया से माफी क्यों मांगी या केजरीवाल ने जवाब नहीं दिया, या वह पंजाब के लोगों के साथ मसखरी कर रहे हैं। केजरीवाल कह चुके हैं कि उनकी दिन में दस बार तक मान से बात होती है।

दलबदल कानून पर हो बहस
सुखपाल खैरा ने कहा कि पहले कांग्रेस, फिर भाजपा ने एंटी डिफेक्शन लॉ में संशोधन किया। अलग पार्टी बनाने के लिए दो तिहाई के संख्याबल की शर्त बना दी। यह लोकतंत्र का गला घोंटने जैसा है। इसके चलते पार्टी प्रधान तानाशाह बन गए, पार्टियों में लोकतंत्र खत्म हो गया। सुखबीर बादल के पास करोड़ों की पार्टी प्रॉपर्टी और फंड हैं, पर न दो तिहाई लोग इकट्ठे होंगे, न उनसे कोई मांग सकेगा। इस मुद्दे पर गंभीर बहस की जरूरत है।

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