आध्यात्मिक व नैतिक गुणों से परिपूर्ण बालक बनेंगे सामाजिक उत्थान में भागीदार -डा. जगदीश गाँधी

सीएमएस राजाजीपुरम (प्रथम कैम्पस) में डिवाइन एजुकेशन कान्फ्रेन्स

लखनऊ : सिटी मोन्टेसरी स्कूल, राजाजीपुरम (प्रथम कैम्पस) द्वारा ‘डिवाइन एजुकेशन कान्फ्रेन्स’ का आयोजन बड़े ही शानदार ढंग से सी.एम.एस. कानपुर रोड ऑडिटोरियम में उल्लासपूर्ण वातावरण में सम्पन्न हुआ। सी.एम.एस. संस्थापक डा. जगदीश गाँधी ने दीप प्रज्वलित कर समारोह का विधिवत शुभारम्भ किया एवं विभिन्न प्रतियोगिताओं में सर्वोच्चता अर्जित करने वाले एवं वार्षिक परीक्षाओं में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले छात्रों को पुरष्कृत कर सम्मानित किया। इस अवसर पर  डा. गाँधी ने कहा कि भौतिक ज्ञान के साथ-साथ आध्यात्मिक व नैतिक ज्ञान की शिक्षा ही छात्रों को ‘टोटल क्वालिटी पर्सन’ बना सकती है तथापि यही छात्र आगे चलकर सामाजिक उत्थान में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करेंगे। भावी पीढ़ी को यह समझाना आवश्यक है कि ईश्वर एक है, धर्म एक है तथा समस्त मानव जाति एक ही परमात्मा की संतान है। यह उदार भावना परिवार, समाज, देश तथा विश्व को एकता के सूत्र में जोड़ने का कार्य करेगी।

इससे पहले, सी.एम.एस. छात्रों ने रंगारंग शिक्षात्मक-साँस्कृतिक कार्यक्रमों की अनूठी छटा प्रस्तुत कर अभिभावकों को मंत्रमुग्ध कर दिया एवं अभिभावकों ने जोरदार तालियां बजाकर छात्रों का खूब उत्साहवर्धन किया। समारोह में छात्रों के दादा-दादी व नाना-नानी को विशेष रूप से आमन्त्रित किया गया था, जिन्होंने छात्रों का दिल खोलकर उत्साहवर्धन किया। समारोह का शुभारम्भ सर्व-धर्म एवं विश्व शान्ति प्रार्थना से हुआ एवं इसके उपरान्त छात्रों ने ईश्वर भक्ति से परिपूर्ण अपने गीत-संगीत से ऐसा समां बाँधा कि दर्शक मंत्रमुग्ध हो गये। छात्रों ने ‘विश्व संसद’ के शानदार प्रस्तुतिकरण द्वारा विश्व की ज्वलन्त समस्याओं पर सारगर्भित परिचर्चा की एवं उनके शान्तिपूर्ण समाधान भी सुझाए।

इस अवसर पर अभिभावकों को सम्बोधित करते हुए सी.एम.एस. राजाजीपुरम (प्रथम कैम्पस) की प्रधानाचार्या निशा पाण्डेय ने कहा कि सी.एम.एस. बालकों को भौतिक, सामाजिक एवं आध्यात्मिक तीनों प्रकार की शिक्षा देकर उन्हें चुस्त एवं संतुलित व्यक्तित्व का धनी, मानव जाति के लिए ईश्वर का उपहार एवं टोटल क्वालिटी पर्सन बनाने के लिए प्रयत्नशील है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि बालकों के चरित्र निर्माण तथा बौद्धिक क्षमताओं के विकास हेतु उन्हें स्वस्थ वातावरण उपलब्ध कराना चाहिए।

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