आतंकी के समाप्त होने तक मारे जा चुके हैं और सैकड़ों पर शिकंजा कसा जा चुका

घाटी में आतंक के पोस्टर ब्वाय बन चुके जाकिर मूसा के मारे जाने से आतंकी संगठन ही नहीं उनके आकाओं को भी बड़ा झटका लगा है। बुरहान वानी के बाद मूसा तेजी से आतंक के चेहरे के तौर पर स्थापित हो रहे थे। इसके बाद अब घाटी में सक्रिय 250 के करीब देशी-विदेशी आतंकियों में से चार-पांच ही पुराने चेहरे बचे हैं। अन्य सभी एक से दो साल से ही सक्रिय हैं। सुरक्षाबल इनकी भी तलाश में जुटे हैं।

जुलाई 2016 में आतंक के पोस्टर ब्वाय बने बुरहान वानी की मौत के बाद सुरक्षाबलों ने तेजी से आतंक के चेहरों की सफाई का अभियान शुरु किया। इस मुहिम के शुरू होने से (जुलाई 2016 से मई 2019 के पहले पखवाड़े) अब तक 550 से ज्यादा आतंकी के समाप्त होने तक मारे जा चुके हैं और सैकड़ों पर शिकंजा कसा जा चुका है। ऐसे में घाटी में नया पोस्टर ब्वाय खोजना आतंकी संगठनों के आकाओं के लिए आसान नहीं है।

पुराने सक्रिय आतंकियों में हिजबुल के डिवीजनल कमांडर रियाज नायकू के अलावा आदिल, शिराजी, हमाद,फारूक बिजरान, जुनैद सहराईव समीर उर्फ सलीम के अलावा कोई बड़ा स्थानीय आतंकी कमांडर जिंदा नहीं बचा है। अगर बचा है तो वह इस समय खुद को बचाने के लिए लो-प्रोफाइल हो चुका है।

आतंक के ये चेहरे अब हुए खाक

समीर टाइगर, शौकत, अबू दुजाना, हमास, ललहारी, अल्ताफ काचरु, मेहराजुदीन बांगरु, यासीन यत्तु, शौकत टाक, दाऊद, मुगीस, आजाद दादा समेत सभी स्थानीय आतंकी कमांडर कभी घाटी में आतंक के पर्याय बन चुके थे। यह सभी आतंकी संगठनों के लिए नए लड़कों की भर्ती का बंदोबस्त करने से लेकर कश्मीर में आतंकवाद का जिंदा रखने के लिए पोस्टर ब्वाय बनने का दम भरते थे। इनमें से कइयों को बुरहान वानी का उत्तराधिकारी बताकर आतंकी संगठनों ने प्रचारित करना भी शुरु किया, लेकिन सुरक्षाबलों ने आतंक के इन चेहरों के सफाए में ज्यादा वक्त नहीं लिया।

पांच-छह ही पुराने चेहरे

कश्मीर में आतंकरोधी अभियानों में सक्रिय भूमिका निभा रहे राज्य पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस समय सिर्फ हिजबुल और लश्कर में ही पांच-छह ऐसे स्थानीय आतंकी चेहरे हैं जो वर्ष 2014 या उससे पहले से सक्रिय हैं। इन पुराने आतंकियों में हिजबुल मुजाहिद्दीन का डिवीजनल कमांडर रियाज नायकू, हमाद खान, शिराजी, रियाज और लश्कर का समीर व फारूक प्रमुख हैं। यह सभी डबल ए श्रेणी के आतंकी हैं और इन पर 10 से 15 लाख रुपये का इनाम है। उन्होंने बताया कि इनके अलावा लतीफ टाइगर ही एक ऐसा स्थानीय आतंकी था जो बुरहान की तरह पोस्टर ब्वाय बन सकता था। लेकिन इसी माह की शुरुआत में अपने दो साथियों संग मारा गया। वह भी वर्ष 2014 से सक्रिय था।

नए कैडर की भर्ती में कमी

उन्होंने बताया कि बुरहान के बाद सभी बड़े आतंकी कमाडरों के मारे जाने से सरहद पार बैठे आतंकियों के आकाओं को कैडर का मनोबल बनाए रखने व नई भर्ती तक में मुश्किल आ रही है। नए कैडर के लिए ओवरग्राउंड वर्कर नेटवर्क संभालना भी मुश्किल साबित हो रहा है। इसके अलावा उनके पास ट्रेनिंग का भी अभाव है। वह विध्वंसकारी गतिविधियों को अन्य आतंकियों की तरह अंजाम देने में भी सफल नहीं हो पा रहे हैं।

जैश को लगे हैं बड़े झटके

उन्होंने बताया कि इस समय जैश-ए-मोहम्मद के पास कोई पुराना आतंकी नहीं है। उसके कैडर में शामिल सभी स्थानीय आतंकी दो से तीन साल पुराने हैं। पुलवामा के बाद सुरक्षा बलों ने जैश के आतंकियों के सफाए का अभियान चलाया और उसके कई पुराने कमांडर ढेर हो गए। अल-बदर में सबसे पुराना स्थानीय आतंकी दो साल पहले ही सक्रिय हुआ है। अंसार उल गजवात ए हिंद व जम्मू कश्मीर इस्लामिक स्टेट में शायद ही कोई ऐसा आतंकी होगा जो दो साल पुराना होगा।

रियाज नायकू 2012 से सक्रिय

इस समय कश्मीर में ऑनग्राउंड सक्रिय स्थानीय आतंकियों में सिर्फ रियाज नायकू सबसे पुराना है। वह वर्ष 2012 से सक्रिय है। आदिल, रियाज उर्फ शिराजी, हमाद और फारूक बिजरान, जुनैद सहराईव समीर उर्फ सलीम सरीखे आतंकी वर्ष 2014 या फिर 2015 की शुरुआत में सक्रिय हुए।

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