”आज 20 साल बाद भी काले हिरन को इंसाफ मिल रहा है, इस मासूस को लोग 20 दिन में भूल जायेगे, वाह मेरा देश यहाँ जानवरों को इंसाफ मिलता है इंसानों को नहीं

#”छोटी थी चादर पर सपने बड़े थे, हकीकत छिपाए मुखौटे खड़े थे ,मुझे क्या पता कौन कैसा यहाँ पर लुटेरा वही जो खड़ा था वहाँ पर।” 

Back to top button