आज आरबीआई की बैठक जालान पैनल रिपोर्ट पर, सरकार को दी जाने वाली रकम पर चर्चा की उम्मीद

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) सोमवार को एनुअल अकाउंट्स पर चर्चा करने के लिए बैठक करेगा। इस बैठक में इकोनॉमिक कैपिटल फ्रेमवर्क (ईसीएफ) पर बिमल जालान कमेटी के सुझावों पर चर्चा होगी। इसके साथ ही बैठक में कमेटी द्वारा आरबीआइ के सरप्लस में से सरकार को दी जाने वाली संभावित रकम पर भी चर्चा होने की उम्मीद जताई जा रही है।

चर्चा के बाद इस रिपोर्ट को आम जनों के लिए आरबीआइ की वेबसाइट पर जारी किया जाएगा। गौरतलब है कि आरबीआइ अपने वित्त वर्ष के लिए उस वर्ष जुलाई से अगले वर्ष जून अवधि का अनुसरण करता है। आरबीआइ आमतौर पर एनुअल अकाउंट्स को अंतिम रूप देने के बाद अगस्त में डिविडेंड वितरित करता है। वित्त वर्ष 2019-20 के लिए सरकार ने आरबीआइ से 9,000 करोड़ रुपये डिविडेंड की उम्मीद की है।

अपने सरप्लस से सरकार को कितनी रकम दी जाए, इसके निर्धारण के लिए आरबीआइ ने पूर्व गवर्नर बिमल जालान की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की थी। कमेटी ने पिछले दिनों इस मामले में अपनी रिपोर्ट तैयार की ली है। सूत्रों के मुताबिक रिजर्व बैंक के वर्तमान भंडार में से सरकार को हस्तांतरण इंस्टॉलमेंट्स में हो सकता है। समिति में वित्त मंत्रलय के प्रतिनिधि और तत्कालीन आर्थिक मामलों के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग को बिजली मंत्रलय भेज दिए जाने के बाद समिति का कार्यकाल बढ़ा दिया गया था। गर्ग के स्थानांतरण के समय रिपोर्ट को अंतिम रूप दिया जा रहा था।

गर्ग के बाद समिति में बैंकिंग मामलों के सचिव (अब वित्त-सचिव) राजीव कुमार को नियुक्त किया गया। सूत्रों का यह भी कहना था कि सरकार को कितनी रकम दी जाए, यह अभी तय नहीं है। लेकिन दो बातें लगभग तय हो गई हैं। पहली, सरकार को रकम तीन से पांच वर्षो में दी जाएगी। दूसरी, रकम की पहली किस्त इसी वित्त वर्ष में जारी हो सकती है।चालू वित्त वर्ष में सरकार ने आरबीआइ से 9,000 करोड़ रुपये डिविडेंड की उम्मीद की है।

रिजर्व बैंक ने ईसीएफ की समीक्षा करने के लिए 26 दिसंबर, 2018 को इस छह सदस्यीय कमेटी का गठन किया था। रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर बिमल जालान को इसका अध्यक्ष बनाया गया था। विभिन्न पूर्वानुमानों के आधार पर रिजर्व बैंक के पास नौ लाख करोड़ रुपये से अधिक का सरप्लस है। वित्त मंत्रलय और रिजर्व बैंक के बीच सरप्लस के उचित स्तर तथा अतिरिक्त राशि के हस्तांतरण को लेकर विवाद होने के बाद समिति का गठन किया गया था।

इससे पहले भी 1997 में वी सुब्रमण्यम समिति, 2004 में उषा थोरट समिति और 2013 में वाईएच मालेगम समिति रिजर्व बैंक के भंडार की समीक्षा कर चुकी हैं। सुब्रमण्यम समिति ने इसे केंद्रीय बैंक की बैलेंसशीट (संपत्ति) के 12 फीसद भंडार का सुझाव दिया था, जबकि थोरट समिति ने भंडार को 18 फीसद के स्तर पर बनाए रखने का सुझाव दिया था।

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