आखिर क्यों ममता-नायडू-पवार ने टाली 22 नवंबर की विपक्ष की बैठक

बृहस्पतिवार को होने वाली गैरराजग दलों की बैठक 19 जनवरी तक केलिए टल गई है। पश्चिम बंगाल और आंध्रप्रदेश के सीएम ममता बनर्जी और चंद्रबाबू नायडू ने राकांपा सुप्रीमो शरद पवार से चर्चा के बाद बैठक को टालने का निर्णय लिया। दरअसल इस चुनाव में पीएम की कुर्सी केलिए बड़े अवसर की संभावना देख रहे दिग्गज क्षत्रप पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजे के द्वारा सियासी हवा का रुख भांप लेना चाहते हैं। 

दरअसल कर्नाटक विधानसभा चुनाव केबाद जदएस को समर्थन दे कर कांग्रेस ने भाजपा को हराने केलिए किसी भी तरह की कीमत चुकाने का संदेश दिया था। कांग्रेस केइस संदेश के बाद पीएम बनने की महत्वाकांक्षा पाले क्षत्रपों की उम्मीदों को पंख लगे थे। अब दिग्गज क्षत्रप मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ सहित पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद कांग्रेस का रुख भांपना चाहते हैं।

इन्हें डर है कि अगर नतीजे कांग्रेस के पक्ष में आए तो वह अपने नेतृत्व में राष्ट्रीय स्तर पर गठबंधन का सुझाव देगी, जबकि विपक्ष की योजना राज्यों में राजग के खिलाफ गठबंधन खड़ा करने का है। चूंकि तीन अहम राज्यों राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस मुख्य मुकाबले में है। ऐसे में इस दल के नेताओं को भी लगता है कि सकारात्मक परिणाम आने से कई दल कांग्रेस का नेतृत्व स्वीकार कर लेंगे। यही कारण है कि अपनी रणनीति पर आगे बढने से पहले इन क्षत्रपों ने विधानसभा चुनाव केनतीजों का इंतजार करने का मन बनाया। 

गौरतलब है कि पहले 22 नवंबर को होने वाली बैठक में गैरराजग विपक्ष राज्यों में राजग के खिलाफ गठबंधन की रणनीति पर चर्चा करने पर सहमत हुआ था। विपक्ष की योजना इस बैठक केजरिए अपनी ताकत दिखाने की भी थी। राजगविरोधी गठबंधन की मुहिम में बाद में जुड़े नायडू को ममता ने बैठक केलिए विधानसभा चुनाव के नतीजे का इंतजार करने की सलाह दी। इसके बाद पवार सहित कुछ अन्य विपक्षी नेताओं से बातचीत के बाद बैठक टाल दी गई। 

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