मजदूर का बेटा आईपीएल में कर रहा है नाम रोशन

लहरों से डरकर नैया पार नहीं होती और कोशिश करने वाले की हार नहीं होती…। कवि हरिवंश राय बच्चन की लिखी ये पक्तियां आईपीएल में गुजरात लायंस टीम से खेलने वाले नाथू सिंह पर हू-ब-हू लागू होती हैं। एक मजदूर का बेटा इतनी बुलंदी पर पहुंच गया कि उससे मिलने के लिए लोगों का तांता लगा रहता है।

आईपीएल

दरअसल, राजस्थान के एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाले नाथू सिंह अपनी मेहनत और लगन के चलते आईपीएल में अपना अलग मुकाम बना चुके हैं। नाथू के क्रिकेटर बनने से पहले पिता भरत सिंह वायर फैक्ट्री में मजदूरी करते थे, जिनकी महीने के कमाई करीब सात हजार रुपए थी।

पिता भरत सिंह बताते हैं कि एक बार गली में क्रिकेट खेलते हुए किसी ने उसे देखा और उनसे कहा कि नाथू को क्रिकेट सिखाना चाहिए। उसकी बॉलिंग बहुत तेज है। ये सुनने के बाद भरत सिंह ने नाथू को क्रिकेट खेलने के लिए सुराणा क्रिकेट एकेडमी में भेजा।

हालांकि, वे ज्यादा क्रिकेट के बारे में समझते नहीं थे, फिर भी उनका ये सपना था कि उनका बेटा बहुत बड़ा आदमी बने ताकि उसे मजदूरी नहीं करनी पड़े। इसी सोच ने उसे एकेडमी में भेजा। वहां उसकी फीस करीब दस हजार रुपए थी।

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फिर उन्होंने किसी से ब्याज पर कर्जा लेकर उसकी दो महीने की फीस जमा करा दी और कहा कि अभी दो महीने खेलो फिर आगे देखेंगे। टीन शेड के दो कमरों के घर से निकलकर नाथू एकेडमी पहुंच गया। दो महीने में ही नाथू एकेडमी का स्टार खिलाड़ी बन गया।

परिवार की माली हालत खराब देखकर एकेडमी ने उसकी आगे की फीस भरने की पहल की। इसके बाद उसकी मेहनत उसे अंडर—19 टीम तक ले गई। इसके बाद उनका सलेक्शन राजस्थान की रणजी टीम में भी हो गया।

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