आईटी इंडस्ट्री में रोमांचक जंग की शुरुआत, ‘जबरन अधिग्रहण’ की प्रक्रिया को क्या रोक पाएगी माइंडट्री

माइंडट्री में कैफै कॉफी डे के संस्थापक वी जी सिद्धार्थ की हिस्सेदारी को खरीदे जाने की पेशकश किए जाने के बाद भारतीय आईटी इंडस्ट्री में रोमांचक जंग की शुरुआत हो गई है।

लार्सन एंड टुब्रो (एलएंडटी) ने माइंडट्री में सिद्धार्थ की हिस्सेदारी को 3,269 करोड़ रुपये में खरीदने की पेशकश की है। इस हिस्सेदारी को खरीदने के बाद माइंडट्री का मालिकाना हक एलएंडटी के पास चला जाएगा।
हालांकि, माइंडट्री ने इसे ‘जबरिया अधिग्रहण’ बताते हुए इसका काट निकालने की कोशिश शुरू कर दी है।
स्टॉक एक्सचेंज को दी गई जानकारी में एलएंडटी ने बताया है कि उसने माइंडट्री में सिद्धार्थ की 20.32 फीसद हिस्सेदारी खरीदने के लिए प्रति शेयर 980 रुपये की कीमत तय की है। सोमवार को बंद हुए भाव पर यह कीमत 1.8 फीसद अधिक है।
एलएंडटी ने कहा कि इसके अलावा वह खुले बाजार से प्रति शेयर 980 रुपये के भाव से माइंडट्री की 15 फीसद हिस्सेदारी खरीदेगी। कंपनी ने बताया कि वह अपने ब्रोकर के जरिए यह ऑर्डर पहले ही पेश कर चुकी है।
अगर एलएंडटी यह टेकओवर करने में सफल रहती है, तो यह ओपन ऑफर की शुरुआत होगी, क्योंकि नियमों के मुताबिक अगर कोई कंपनी किसी अन्य कंपनी में 25 फीसद से अधिक की हिस्सेदारी लेती है, तो उसे ओपन ऑफर लाना पड़ता है।
पिछले मंगलवार को एलएंडटी के बोर्ड ने सिद्धार्थ की हिस्सेदारी खरीदे जाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी थी। वहीं इस अधिग्रहण से बचने के लिए माइंडट्री ने 20 मार्च को बोर्ड की बैठक बुलाई है। माना जा रहा है कि इस अधिग्रहण से बचने के लिए माइंडट्री बॉयबैक का विकल्प चुन सकती है।

सोमवार को इसी सिलसिले में माइंडट्री के को-फाउंडर सुब्रतो बागची ने ओडिशा सरकार से इस्तीफा दे दिया है। वह ओडिशा स्किल डिवेपमेंट एजेंसी के चेयरमैन थे।
बागची ने अपने ट्विटर पर लिखा, ‘माइंडट्री का जबरन अधिग्रहण किए जाने की कोशिश की वजह से मैंने (ओडिशा) सरकार से इस्तीफा दिया है। ताकि मैं वहां जाकर कंपनी को बचा सकूं।’

बागची अब बेंगलुरू जाएंगे, जहां कंपनी का मुख्यालय है। उन्होंने कहा, ‘मुझे उस पेड़ को उन लोगों से बचाना है, जो बुलडोजर और आरी लेकर उसे खत्म करना चाहते हैं, ताकि उस जगह पर शॉपिंग मॉल का निर्माण किया जा सके।’
माइंडट्री को राष्ट्रीय संपत्ति बताते हुए बागची ने कहा कि यह ऐसी ”संपत्ति” नहीं है, जिसे बेचा और खरीदा जा सके।

बागची ने कहा, ‘मुझे मुश्किल के समय में वहां होना चाहिए। इसलिए मैंने लौटने का मुश्किल निर्णय लिया है।’

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