आइआइटी रुड़की के वैज्ञानिकों ने पोर्टेबल कोल्ड स्टोरेज ईजाद किया, जाने क्या है इसकी खासियत

पहाड़ी क्षेत्रों में फल-सब्जियों के रख-रखाव की उचित व्यवस्था न होने और समय से उनके मंडियों तक नहीं पहुंच पाने की वजह से अक्सर इनके खराब होने की आशंका बनी रहती है। इससे फल-सब्जी उत्पादकों को खासा नुकसान झेलना पड़ता है। इसी समस्या के समाधान को भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) रुड़की के वैज्ञानिकों ने पोर्टेबल कोल्ड स्टोरेज ईजाद किया है। वजन कम होने के कारण इसे आसानी से एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाया जा सकता है।

आइआइटी रुड़की के जल नवीनीकरण विभाग (एचआरईडी) के रूरल टेक्नोलॉजी एक्शन ग्रुप (रुटैग) ने पोर्टेबेल कोल्ड स्टोरेज विकसित किया है। पायलट प्रोजेक्ट के तहत उत्तरकाशी जिले की बड़कोट तहसील के बर्नीगाड गांव में इस पोर्टेबल कोल्ड स्टोरेज को रखने के साथ ही इसे चलाने के लिए एक छोटा पावर प्लांट भी लगाया जाएगा। 

प्रोजेक्ट के प्रिंसिपल इन्वेस्टीगेटर एवं एचआरईडी के प्रोफेसर आरपी सैनी ने बताया कि उत्तराखंड के बर्नीगाड और कुछ अन्य गांवों में टमाटर, मटर, अदरक, सेब समेत कुछ अन्य फल-सब्जियों का अधिक उत्पादन होता है। उन्होंने वहां इसे लेकर सर्वे भी किया। 

इस दौरान वहां कार्य करने वाली स्वयंसेवी संस्थाओं के माध्यम से पता चला कि फल-सब्जियां उगाने वाले लोगों को ट्रांसपोर्ट की उचित व्यवस्था नहीं होने के कारण उनके रख-रखाव में काफी दिक्कतें आती हैं। बताया कि इसी समस्या के मद्देनजर पोर्टेबल कोल्ड स्टोरेज बनाया गया है। 

प्रो. सैनी ने बताया कि इंसुलेटेड पैनल से बने इस कोल्ड स्टोरेज का वजन 50 से 60 किलोग्राम के बीच है। इसे पांच पैनल में बांटा गया है। इसमें चार से पांच हजार किलोग्राम फल-सब्जियां रखी जा सकती हैं। बताया कि इसका तापमान चार डिग्री सेल्सियस रखा जाएगा। 

कोल्ड स्टोरेज को रखने के लिए नदी के पास वाली जगह को चिह्नित किया गया है। साथ ही इसके संचालन के लिए नदी के पास एक छोटा पावर प्लांट भी लगाया जाएगा। जहां पर कोल्ड स्टोरेज को चलाने के लिए तीन-चार किलोवाट बिजली बनाई जाएगी। 

यदि कोल्ड स्टोरेज के संचालन में इस बिजली की आवश्यकता नहीं होगी तो फिर उसका उपयोग किसी दूसरे कार्य में किया जाएगा। बताया कि कोल्ड स्टोरेज के परीक्षण का कार्य प्रयोगशाला में सफलतापूर्वक किया जा चुका है।

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