आंखों के बारे में इन बातों का रखें ध्‍यान

sehat_eye_health_23_10_2015यदि बच्चा अपने झूले पर टंगे मोबाइल को नहीं देख पा रहा है तो इसमें चिंता करने की जरूरत नहीं होती है। लेकिन आंखों से संबंधित कुछ बातें ऐसी होती हैं जिन पर ध्यान रखने की जरूरत होती है, जैसे दोनों आंखों में कोऑर्डिनेशन न होना, क्रॉस्ड आइज और आंखों में आंसू भरे होना।

आंखों में सामंजस्य न होना

नवजात बच्चों में शुरुआती दिनों में आंखों में हो सकता है सही सामंजस्य न हो। हो सकता है उसकी दोनों आंखें एक-दूसरे से स्वतंत्र अलग दिशा में देखती हों और यह पूरी तरह से सामान्य स्थिति होती है। बच्चों को अपनी आंखों से सही तरीके से देखना सीखने और आई मसल्स को मजबूत होने में वक्त लगता है। बच्चे के तीन महीने का होने के बाद उसकी आंखें खुद ही सामान्य रूप में काम करने लगती हैं। यदि तीन महीने के बाद भी आपके बच्चे की आंखों का कोऑर्डिनेशन सुधरता नहीं है तो फिर डॉक्टर से परामर्श जरूर लेना चाहिए।

आंसू से भरी आंखें

नवजात बच्चे जब रोते हैं तो उनकी आंखों से आंसू नहीं निकलते। बच्चे के एक महीने के होने के बाद यह क्षमता विकसित होती है। इसी दौरान कई बच्चों में ब्लॉक टियर डक्ट की समस्या हो जाती है, इसमें वह रास्ता बंद हो जाता है, जिससे आंसू आंखों से नाक तक पहुंचते हैं। इससे आंखें लगातार आंसुओं से भरे नजर आती हैं और आंसू अपने आप भी छलक जाते हैं जबकि बच्चा रो भी नहीं रहा होता है।

ब्लॉक आई डक्ट आमतौर पर पहले महीने अपने आप ही साफ हो जाते हैं लेकिन कई बार डॉक्टर इसके लिए बच्चे के इनर आई के कॉर्नर को साफ करने की सलाह भी देते हैं। हालांकि आंखें लाल हो जाती हैं या सूजन हो जाती है, यह इन्फेक्शन के लक्षण हो सकते हैं और ऐसे में आपको अपने बच्चे की आंखें दिखाने की जरूरत होती है।

 
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