अशोक गहलोत सरकार विपक्षी दल भाजपा के साथ-साथ अपनों से भी जूझ रही….

लोकसभा चुनाव 2019 में करारी हार के बाद राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार विपक्षी दल भाजपा के साथ-साथ अपनों से भी जूझ रही है। कांग्रेस सत्ता और संगठन दोनों में ही अपने ही बात-बात पर सरकार पर निशाने साधने से नहीं चूक रहे हैं। वहीं, प्रदेश में कानून व्यवस्था समेत बिजली-पानी के मुद्दों पर पहले से ही सरकार को निशाने पर ले रखे विपक्ष ने अब उसे सड़क से विधानसभा तक घेरने की रणनीति बनाई है।

सीएम अशोक गहलोत को चिंता अब 27 जून से शुरू होने वाले विधानसभा सत्र को लेकर सताने लगी है, जिसमें सरकार भाजपा के साथ-साथ कांग्रेस विधायकों के भी निशाने पर आने वाली है। कांग्रेस नेताओं की बयानबाजी के बाद कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अविनाश पांडे ने एक एडवायजरी जारी कर विधायकों व पदाधिकारियों ने सार्वजनिक रूप से बयानबाजी नहीं करने की बात कही। लेकिन विधायकों व नेताओं की बयानबाजी अभी भी जारी है।

करारी हार के बाद अपनों के निशाने पर आई सरकार

दरअसल, अप्रैल के अंत में अलवर में हुए गैंगरेप मामले के बाद गहलोत सरकार विपक्ष के निशाने पर आ गई थी। उसके बाद प्रदेश में दुष्कर्म, सामूहिक दुष्कर्म व बजरी माफिया से जुड़े मामले काफी संख्या में सामने आए। अलवर मामले में देशभर में बदनामी झेल चुकी सरकार इस मामले में लगातार कार्रवाई रही है। इस बीच, लोकसभा चुनाव में पार्टी की हुई करारी हार के बाद सरकार अपनों के निशाने पर आ गई। लोकसभा चुनाव में हार के बाद सत्ता और संगठन में हार का ठीकरा एक-दूसरे के सिर फोड़ने के लिए बयानबाजी का दौर शुरू हो गया। इस बयानबाजी में सरकार के मुखिया सीएम अशोक गहलोत पर भी निशाने साधे गए।

सरकार में नागरिक आपूर्ति मंत्री रमेश मीणा, सहकारिता मंत्री उदय लाल आंजना ने हार के लिए सीएम को जिम्मेदार बताया। कांग्रेस विधायक पीआर मीणा ने सीएम पर खुलकर आरोप लगाए और सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाने की मांग की। उन्होंने कहा कि गहलोत के कारण लोकसभा चुनाव में हार हुई है। आलाकमान ने उन्हें नोटिस भी दिया। लेकिन वे फिर भी नहीं मान रहे। राज्य के पूर्व पुलिस महानिदेशक और कांग्रेस विधायक हरीश मीणा ने अपनी ही सरकार के खिलाफ पांच दिन तक टोंक में आमरण अनशन करते हुए पुलिस पर बजरी माफियाओं से मिलीभगत करने का आरोप लगाया।

पर्यटन मंत्री विश्वेंद्र सिंह ने ब्यूरोक्रेसी के बेलगाम होने की बात कही। विधायक रामनारायण मीणा ने कहा कि हम नहीं सुधरे तो मोदी सरकार को बर्खास्त कर देंगे। कांग्रेस की लीडरशिप खुद के स्वार्थ छोड़कर संगठन मजबूत करने पर ध्यान दें। मीणा ने दूसरी बार पार्टी के नेताओं पर साधा निशाना साधते हुए कहा कि जो लोग वार्ड मेंबर तक नहीं जीत सकते, उन्हें पार्टी में बड़े पद दे रखे हैं।

बसपा भी दिखा रही आंख

गहलोत सरकार को समर्थन दे रहे बसपा के छह विधायक भी दो बार आंखें दिखा चुके हैं। एक बार तो बसपा विधायकों ने राज्यपाल कल्याण सिंह से मुलाकात का समय तक मांग लिया। लेकिन सीएम ने बसपा सुप्रीमो मायावती से बात कर मामले को शांत किया। निर्दलीय विधायक भी समय-समय पर सरकार को निशाने पर लेते रहे हैं।

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