अर्थव्यवस्था की रफ्तार धीमी नजर आयी, कंपनियों के राजस्व और मुनाफे में आई गिरावट

अर्थव्यवस्था की रफ्तार धीमी होने का असर अब कंपनियों के प्रदर्शन पर भी दिखने लगा है। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में कंपनियों के राजस्व और मुनाफे में तेज गिरावट देखने को मिली है। सबसे ज्यादा असर कंपनियों के मुनाफे पर हुआ है। बीते साल में मुनाफे की वृद्धि दर 24.6 फीसद रही थी जो इस साल घटकर मात्र 6.6 फीसद रह गई है। घरेलू रेटिंग एजेंसी केयर रेटिंग्स ने चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही में आए नतीजों के विश्लेषण के आधार पर यह आकलन किया है।

एजेंसी ने नतीजे घोषित करने वाली 2,976 कंपनियों के वित्तीय प्रदर्शन की पड़ताल की। इस विश्लेषण के मुताबिक घरेलू कंपनियों के राजस्व की वृद्धि दर बीते साल की इसी अवधि के 13.5 फीसद से घटकर 4.6 फीसद रह गई। एजेंसी की रिपोर्ट में कहा गया है कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही निराशाजनक और कमजोर कॉरपोरेट नतीजों वाली रही है, जो विभिन्न इंडस्ट्री सेक्टर और इकोनॉमी में मंदी का संकेत दे रही है।
हालांकि, इस रिपोर्ट में कर्मचारियों पर होने वाले व्यय पर खर्च स्थिर है, जिससे माना जा सकता है कि ऑर्गेनाइज्ड सेक्टर में नौकरियों पर बहुत अधिक असर पहली तिमाही में नहीं दिखा। ताजा रिपोर्ट के मुताबिक कर्मचारियों को किए जा रहे भुगतान में पिछले वर्ष के मुकाबले 10.6 फीसद की वृद्धि हुई है। गौरतलब है कि पिछले वित्त वर्ष की आखिरी तिमाही (जनवरी-मार्च, 2019) में जीडीपी की वृद्धि दर 5.8 फीसद रही थी।
जानकार अनुमान लगा रहे हैं कि अप्रैल-जून तिमाही में यह और नीचे आ सकती है। सरकार 31 अगस्त को जून तिमाही के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) से संबंधित आंकड़े जाहिर करेगी। पहली तिमाही के भारतीय कंपनियों के नतीजों में परिचालन लाभ की वृद्धि दर 4.1 फीसद रह गई है। बीते साल की इसी तिमाही में इस श्रेणी में वृद्धि दर दो अंकों में रही थी। हालांकि परिचालन लाभ मार्जिन 20 फीसद पर स्थिर रहा है।

गौरतलब है कि ऑटोमोबाइल, एफएमसीजी और इलेक्ट्रॉनिक मैन्यूफैक्चरिंग इंडस्ट्री में मांग की कमी की खबरें आ रही हैं। इन सभी वर्गो में जानकार मंदी का असर मान रहे हैं। ऑटोमोबाइल कंपोनेंट बनाने वाली कंपनियों में अस्थायी और कॉन्ट्रैक्ट पर काम कर रहे कर्मचारियों की नौकरी जाने की खबरे भी आई हैं। इस इंडस्ट्री से जुड़ी कंपनियां और एसोसिएशन सरकार से निरंतर राहत पैकेज की मांग कर रहे हैं।

रिपोर्ट में शामिल कंपनियों में से अगर बैंकों और वित्तीय संस्थानों को अलग कर दिया जाए तो कुल 2,574 कंपनियां बचती हैं। बीते साल की पहली तिमाही में इन कंपनियों के टैक्स भुगतान में 52.3 फीसद की वृद्धि दर्ज की गई थी। लेकिन इस वर्ष यह घटकर 19 फीसद पर आ गया है। इसी तरह टैक्स चुकाने के बाद लाभ की वृद्धि दर भी बीते साल के 52.9 फीसद से गिरकर 11.9 फीसद रह गया।

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