‘परीक्षा सिर पर है, बच्चों को दे ऐसी दवाई कि बच्चा जल्दी ठीक हो जाए’
इंदौर। अस्पतालों और डॉक्टरों के क्लीनिक में बीमार बच्चों की भीड़ बढ़ती जा रही है। एक महीने से मौसम के उतार-चढ़ाव का असर बच्चों की सेहत पर पड़ रहा है। ठंड, तेज धूप, हवा और बादलों के कारण यह स्थिति बन रही है। माता-पिता इस चिंता के साथ उन्हें लेकर डॉक्टर के पास लेकर पहुंच रहे हैं कि कहीं बीमारी परीक्षा में रोड़ा न बन जाए। वे डॉक्टरों से एक ही गुजारिश कर रहे हैं कि ऐसी दवाई दें कि जल्दी से ठीक हो जाएं। डॉक्टरों के अनुसार सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में बच्चों की संख्या में 15-20 फीसदी बढ़ोतरी हो गई है। क्लिनिक पर देर रात तक मरीजों की कतार लगी हुई है।
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केस- 1 : खड़े भी नहीं हो सकता
आठ साल का अखिलेश तेज बुखार और उल्टी से परेशान है। तीसरी में पढ़ने वाले अखिलेश की परीक्षा चल रही है, लेकिन फिलहाल उसकी खड़े होने की भी स्थिति नहीं है।
केस-2 : चार-पांच दिन से डॉक्टर के लगा रही चक्कर
10 साल की यथार्वी कश्यप को मलेरिया है। चार-पांच दिन से वह डॉक्टर के ही चक्कर लगा रही है। 1 मार्च से उसकी परीक्षा है और बीमारी के कारण पढ़ाई बंद हो गई है।
केस-3 : हर दो-तीन में आ रहा तेज बुखार
साढ़े छह साल की नेहा राणा को 15 दिन से बार-बार बुखार आ रहा है। चाचा नेहरू अस्पताल में जांच के लिए नेहा को लेकर बैठी मां का कहना था हर दो-तीन दिन में तेज बुखार आता है और दवाई लेने पर उतर जाता है। बीमारी के कारण स्कूल नहीं जा रही है।
लापरवाही से बिगड़ सकती है हालत
यह मौसम स्वास्थ्य के लिहाज से बिलकुल ठीक नहीं है। कम रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले बच्चे तुरंत वायरल की चपेट में आ रहे हैं। ऐसे में बच्चों का काफी ध्यान रखने की जरूरत है। लापरवाही करने पर बच्चे को अस्पताल में भर्ती करना पड़ सकता है। परीक्षा को देखते हुए बच्चों की दिनचर्या पर काफी ध्यान देने की जरूरत है। डॉ. अमित बंग, शिशु रोग विशेषज्ञ
इन बातों का रखें ध्यान
– बच्चों को बाहर व खुले में बनी चीजें न खिलाएं।
– भीड़ भरी जगह खास तौर पर सिनेमाहॉल, मॉल व बाजारों में न जाएं।
– दिनभर धूप में घूमने के बाद एसी में न रहें।
– बच्चों को खूब पानी पिलाएं।
– नीबू पानी, ओरआरएस, संतरे का जूस, नारियल पानी, छाछ पिलाएं।
ओपीडी में बढ़े मरीज
जिला अस्पताल में बच्चों की ओपीडी में मरीज बढ़ गए हैं। 10-15 फीसदी बच्चे ज्यादा आ रहे हैं। बुखार, सर्दी, खांसी, उल्टी-दस्त के मरीज अधिक हैं। इनका खाने-पीने का ध्यान रखने की जरूरत है। थोड़ी भी तबीयत खराब लगने पर तुरंत अस्पताल ले जाना जरूरी है।