अभी पूरी तरह सम्हला नही राजस्थान, अब मणिपुर को लेकर कांग्रेस पेरशान

नई दिल्ली। कांग्रेस पार्टी जहां एक तरफ वैसे ही अपने अस्तित्व को बचाने के
लिए संघर्षरत है वहीं ऐसे में जब-तब उसकी पार्टी के नेता और विधायक अपने अपने स्वार्थ
सिद्ध करने में मस्त हैं जिसकी बानगी है कि पहले लंबे वक्त तक नाटक के बाद कर्नाटक
फिर मध्यप्रदेश की सत्ता हाथ से गंवाई और उसके बाद राजस्थान में लंबे वक्त से जारी
सियासी संकट के चलते कराई जग हंसाई। अभी पार्टी इस मामले से उबर भी नही पाई कि अब मणिपुर
में पार्टी के छह विधायकों ने आलाकमनान की फिर से मुसीबत है बढ़ाई।

गौरतलब है कि मणिपुर में कांग्रेस के छह विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष को अपना
इस्तीफा सौंप दिया है। ये सभी एमएलए कांग्रेस के उन आठ विधायकों में शामिल हैं जो पार्टी
व्हिप का उल्लंघन करते हुए सोमवार को विधानसभा के एक दिवसीय सत्र में शामिल नहीं हुए
थे। इस सत्र में भाजपा नीत एन बीरेन सिंह सरकार ने विश्वास मत हासिल कर लिया था। वांगखाई
विधानसभा क्षेत्र से विधायक हेनरी सिंह के अलावा इस्तीफा देने वालों में ओइनम लुखोई
(वांगोई सीट), मोहम्मद अब्दुल नासीर (लिलोंग सीट), पोनम ब्रोजन (वांगजिंग तेंठा सीट),
नगमथांग होकिप (सैतू सीट) और गिनसुआनहु (सिंघट सीट) हैं।

इन विधायकों ने ओ इबोबी सिंह के नेृतत्व में विश्वास की कमी का हवाला देते
हुए कहा कि उनकी वजह से कांग्रेस राज्य में तब भी सरकार बनाने में विफल रही जब वह राज्य
में अकेली सबसे बड़ी पार्टी थी। हेनरी सिंह ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष युमनम खेमचंद
सिंह ने विधानसभा सत्र के बाद सोमवार रात में उन्हें बुलाया था और उनके इस्तीफे पत्र
की जांच की। न्होंने बताया कि अध्यक्ष ने अब तक उनके इस्तीफे स्वीकार नहीं किए हैं।
हेनरी सिंह ने कहा कि वे पार्टी की सदस्यता से शाम को इस्तीफा देंगे। भले ही विश्वास
मत में सरकार की जीत पहले से ही निश्चित थी, लेकिन बेहद जरूरी सत्र में कांग्रेस के
आठ विधायकों की गैरमौजूदगी ने मुख्यमंत्री के राजनीतिक दांव को दर्शाया है।

ज्ञात हो कि 60 सदस्यों वाली विधानसभा में अध्यक्ष समेत मौजूदा विधायकों की
संख्या 53 है। अध्यक्ष बराबर मत होने पर अपने मत का इस्तेमाल कर सकते थे। इससे पहले
विधानसभा के चार सदस्य अयोग्य ठहराए गए थे और भाजपा के तीन सदस्यों ने कुछ समय पहले
इस्तीफा दे दिया था। सत्तारूढ़ एनडीए गठबंधन के पास अध्यक्ष समेत 29 विधायक जबकि कांग्रेस
के पास 24 विधायक थे। इनमें से कांग्रेस के आठ विधायक सत्र में शामिल नहीं हुए।

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