अब दोबारा उपयोग में लाया जा सकेगा शरीर का यह पार्ट, जानिए कैसे?

इंसान को अपने जीवन से कई उम्मीदे होती है रशिया में इंसान को दोबारा जीवन की उम्मीद देने वाले रूसी वैज्ञानिक डॉ. यूरी पिचुगिन का दिमाग फ्रीज कर दिया गया है। डॉ. यूरी का दिमाग उन्हीं की ईजाद की हुई तकनीक के जरिए माइनस 196 डिग्री सेल्सिय तापमान पर फ्रीज कर दिया गया, ताकि भविष्य में इस दिमाग का दोबारा इस्तेमाल किया जा सके। डॉ. यूरी ने इसके लिये फ्रैंकेस्टाइन तकनीक की खोज की थी। इसके जरिए मृत लोगों के दिमाग को खास रसायन में रखकर फ्रीज किया जाता है। इसे क्रायो-प्रिजर्वेशन कहते हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि भविष्य में ऐसे दिमाग दोबारा इस्तेमाल में लाए जा सकते हैं। 

कई जगहों पर होता है इस तकनीक का इस्तेमाल 

डॉ. यूरी की इस तकनीक का इस्तेमाल अमेरिका और रूस में भी किया जाता है। इससे भविष्य में विज्ञान के आगे बढ़ने पर इस तरह के दिमाग का दोबारा इस्तेमाल किए जाने का मौका मिलता है। इस प्रक्रिया के लिए कई कंपनियां 13 लाख रुपए तक लेती हैं। हालांकि, यूरी खुद यह नहीं चाहते थे कि उनका दिमाग फ्रीज किया जाए। इसके पीछे उन्हें इस तकनीक की विफलता की आशंका नहीं थी, बल्कि उन्होंने इसके पीछे नैतिकता का हवाला दिया था। उन्होंने कहा था कि मानवता का यह रूप उन्हें दुख पहुंचाता है।

दिमाग का दोबारा इस्तेमाल हो सकता है 

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इस तकनीक के आधार पर वैज्ञानिक दावा करते हैं कि अत्यधिक ठंडे तापमान में रखे गए दिमाग का इस्तेमाल कुछ दशकों या शताब्दियों बाद किया जा सकता है। भविष्य में विज्ञान की तरक्की के बाद इस दिमाग का इस्तेमाल किसी अन्य शरीर में भी किया जा सकता है। जिस वेयर हाउस में डॉ. यूरी का दिमाग रखा गया है, वहां 66 अन्य लोगों के दिमाग क्रायो-प्रिजर्वेशन तकनीक से रखे गए हैं। इनके अलावा 32 पालतू पशुओं के दिमाग को भी प्रिजर्व किया गया है।

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