अब कमेटी बताएगी कौन है भारत का राष्ट्रपिता

gandhi_phule_fon_12_05_2016नई दिल्ली। देश की आजादी के लिए हमारे महान हस्तियों ने अलग-अलग ढंग से लड़ाई लड़ी। राजनेताओं से लेकर समाजसेवियों ने अपने अंदाज में जनता के बीच अंग्रेजी शासन के खिलाफ लडा़ई लड़ी और 1947 में भारत को अंग्रेजी दास्ता से मुक्ति मिली। महात्मा गांधी के योगदान को देखते हुए लोगों ने प्यार से उन्हें राष्ट्रपिता कहना शुरू कर दिया। लेकिन, समय-समय पर ये सवाल उठते रहे कि उन्हें राष्ट्रपिता कहना उचित होगा। राष्ट्रपिता की कतार में एक और नाम पर चर्चा छिड़ी कि सही मायने में राष्ट्रपिता महान समाज सुधारक ज्योति राव फूले को होना चाहिए।

विवाद पर विराम के लिए कमेटी

इस चर्चा पर अंतिम विराम देने के लिए लखनऊ स्थित बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय के कुलपति आर सी सोबती की अगुवाई में कमेटी बनाई गई है। टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक कमेटी के कुछ सदस्यों ने ज्योति राव फूले को राष्ट्रपिता घोषित करने की मांग की है।

संविधान और उपाधि

एक छात्र द्वारा दाखिल आरटीआई के जवाब में गृह मंत्रालय ने जवाब दिया है कि शैक्षणिक और सैन्य सम्मानों के अलावा किसी और उपाधि की आज्ञा संविधान नहीं देता है। ये मामला तब उठा जब विश्वविद्यालय के सिद्धार्थ छात्रावास में कुछ छात्रों ने ज्योतिराव फूले की तस्वीर लगाई जिस पर उन्हें राष्ट्रपिता के नाम से संबोधित किया गया था। इस पोस्टर के सामने आने के बाद विश्वविद्यालय के सामान्य और ओबीसी समुदाय के छात्रों ने कहा कि देश के राष्ट्रपिता सिर्फ महात्मा गांधी है।

विचार को मिले आजादी

अंबेडकर दलित स्टूडेंट यूनियन के प्रेसिडेंट श्रेयत बौद्ध ने कहा कि बोलने की स्वतंत्रता पर आप लगाम कैसे लगा सकते हैं। आप किसी के ऊपर महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता मानने के लिए दबाव कैसे बना सकते हैं। वहीं अंबेडकर छात्र संगठन के अध्यक्ष रत्नेश चौधरी ने कहा कि दो लोग राष्ट्रपिता कैसे हो सकते हैं।

कुलपति के हाथ में अंतिम फैसला

इन सबके बीच बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय की कुलपति आरसी सोबती ने कहा कि वो कुछ दिनों से विश्वविद्यालय में नहीं थे। विश्वविद्यालय द्वारा गठित समिति में फूट की वजह से सदस्यों ने इस विषय पर अंतिम फैसला लेने के लिए कुलपति को अधिकृत किया है।

 
 

 

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