अपनी संपत्ति की मालकिन होगी नर्मदा नदी, कानून बनाने में जुटी MP सरकार

भोपाल. जीएसटी के लिए लाए गए स्पेशल सेशन में नर्मदा नदी को जीवित व्यक्ति का दर्जा देने के लिए रेजोल्यूशन पारित हो गया था। अब मध्य प्रदेश सरकार इस तैयारी में जुट गई है कि जल्द से जल्द उसके लीगल राइट्स तय कर दिए जाएं। इसे लेकर एडमिनिस्ट्रेटिव लेवल पर कवायद शुरू हो गई है। नर्मदा देश की पहली ऐसी नदी बनेगी, जिसे जीवित व्यक्ति की तरह अधिकार होंगे। कोर्ट ने गंगा नदी के बारे में उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश सरकार को काम करने के लिए कहा है, लेकिन उससे पहले ही सीएम शिवराज सिंह चौहान की पहल पर सरकार ने नर्मदा को लेकर विधानसभा में संकल्प पारित करा लिया। नर्मदा अपनी संपत्ति की मालकिन बनेगी…
अपनी संपत्ति की मालकिन होगी नर्मदा नदी, कानून बनाने में जुटी MP सरकार
 
– आने वाले मानसून सेशन में नर्मदा के अधिकारों से जुड़ा विधेयक भी लाया जा सकता है। साफ है कि नर्मदा अपनी संपत्ति की मालकिन बनेगी। कोई यदि उसे नुकसान पहुंचाएगा तो उस पर एफआईआर करने के लिए एक ऑर्गनाइजेशन भी बनेगा।
– बता दें कि नदियों को जीवित व्यक्ति का दर्जा देने का सबसे पहला उदाहरण न्यूजीलैंड ने दिया है। वांगगुंई नदी को वहां की संसद ने यह मान्यता दी है। ये 150 साल की लड़ाई के बाद हुआ।
– न्यूजीलैंड में सदियों से नदी के समीप रहने वाली ईवी और हपु ट्राइब्स की कोशिशों से यह कामयाबी मिली। बाद में न्यूजीलैंड ने इन अधिकारों के इम्प्लिमेंटेशन के लिए एक संस्था भी बनाई।
– मध्य प्रदेश भी इसी राह पर है। जल्द ही विधेयक लाकर कानूनी अधिकार दिया जाएगा।
– बहरहाल, नर्मदा सेवा यात्रा के जरिए शिवराज ने लोगों को नर्मदा को लेकर जागरूक कर दिया है। घाटों पर सीमेंटेड कुर्सियां, विसर्जन कुंड, व चेंजिंग रूम बन गए हैं। कई जगहों पर चेतावनी बोर्ड लग गए हैं। अब तक 67 राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय धर्मगुरु और संत, 26 एक्सपर्ट्स, 38 कल्चर से जुड़ी हस्तियां, 14 नेशनल लेवल के रिप्रेजेंटेटिव, 51 खिलाड़ियों समेत कुल 600 लोग यात्रा से जुड़ गए हैं।

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इन पर हो सकेगी कार्रवाई
– वॉर्निंग और निर्देशों के बाद भी यदि कोई नर्मदा में सीवेज का पानी छोड़ेगा तो उसके खिलाफ क्रिमिनल केस चलेगा। नर्मदा की संपत्ति को अवैध तरीके से कोई नुकसान पहुंचाएगा तो वह भी कानूनी कार्रवाई के दायरे में आएगा।

क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
– यमुना बायो-डायवर्सिटी पर काम कर रहे एक्सपर्ट डॉ. फयाज खुदसर के मुताबिक, “नर्मदा के लिए अब सरकार को वेटलैंड ज्यादा से ज्यादा तादाद में बनाने होंगे। तीन लेवल पर पौधरोपण हो और नर्मदा के 50 साल के डाटा का आकलन करके ऐसे पौधे लगाए जाएं जो नर्मदा के सहयोगी बनें। पश्चिम घाट के पौधे यहां लगाने की गलती न हो। नर्मदा की विदेशी नदियों से भी तुलना न हो। इसके बाढ़ क्षेत्र को पुनर्स्थापित करने की जरूरत है।”
– वाटर कंजर्वेशन के लिए रेमन मैग्सेसे अवॉर्ड विनर राजेंद्र सिंह के मुताबिक, “संविधान बनने से पहले नर्मदा को समाज मां मानता था। लोग नहाने के बाद नदी में जाते थे। लेकिन आज इसमें सब खुद की गंदगी धोने लगे। विकास का लालच इतना बढ़ गया है कि नदी पर संकट आ गया। मध्य प्रदेश की सरकार ने जो कोशिश की है, उसे नतीजे तक पहुंचाना जरूरी है।”
 
मानसून सेशन में आएगा विधेयक, इसमें क्या होगा?
– एक ऑर्गनाइजेशन बनेगा जो नदी के संरक्षण के लिए नर्मदा की ओर से क्रिमिनल केस दर्ज कराएगा।
– ऑर्गनाइजेशन नर्मदा के नाम से लीगल एक्शन शुरू करेगा।
– नर्मदा में जितनी भी संपदा, बायो-डायवर्सिटी और अन्य चीजें हैं, उसकी वह मालकिन होगी। विवाद स्वयं नर्मदा नदी के नाम से होंगे।
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