यूथटाइप बुक ‘बातें बेमतलब’ लॉन्च, अनुज खरे ने व्यंग्य के जरिए बयां की ये हकीकत

भोपाल.किसी भी किताब का विमोचन समान्यत: लेखक द्वारा उसकी लिखी गई एक-दो कृतियों या अंशों के पाठ तक सीमित होता है, लेकिन शनिवार को भारत भवन में मंजुल प्रकाशन द्वारा प्रकाशित अनुज खरे के व्यंग्य संग्रह ‘बातें बेमतलब’ के विमोचन में हास्य का पाठ कुछ अलग ढंग से हुआ।कुछ ऐसी है ये युथटाइप किताब ‘बातें बेमतलब’ की….यूथटाइप बुक 'बातें बेमतलब' लॉन्च, अनुज खरे ने व्यंग्य के जरिए बयां की ये हकीकत

व्यंग्य को अभिनय के साथ थिएटर आर्टिस्ट बालेन्द्र सिंह बालू व कार्टूनिस्ट हरिओम तिवारी ने अलग अंदाज में जीवन के पुराने किस्सों का रूप देते हुए पढ़ा। शुरुआत राकेश सतनकर और चैताली शिवलिकर की बांसुरी व वायलिन की जुगलबंदी से हुई। उनकी प्रस्तुति में उनकी साधना, अभ्यास और तालीम नजर आई। व्यंग्य संग्रह का विमोचन व्यंग्यकार पद्मश्री डॉ. ज्ञान चतुर्वेदी ने किया। ज्ञान चतुर्वेदी ने कहा, बुंदेलखंड के लोगों का नैसर्गिक गुण व्यंग्य है। इनके रस-रस में और हर एक बात में व्यंग्य नजर आता है। व्यंग्य पर यहां के लोगों का नैसर्गिक हक है। इसके बाद डॉ ज्ञान चतुर्वेदी ने व्यंग्य पाठ भी किया। इस मौके पर मंजुल पब्लिकेशन के एमडी विकास रखेजा उपस्थित रहे। गौरतलब है कि यह अनुज खरे की तीसरी किताब है।

ये भी पढ़ें: शादी के बाद छूट गई थी कुश्ती, बेटी की ख्वाहिश पर 9 साल बाद उतरी अखाड़े में

बातें, जो हम आप करते हैं, बेमतलब सी

‘बातें बेमतलब’ किताब में भूतटाइप विषय उठाकर लेखक ने युथटाइप किताब लिख मारी है, जिसमें जुमलों की कॉइल, मवाली सी इस्टाइल, भाषा की गुलेल, नए विषयों का खेल खेला गया है। ये पढ़ने वाले के दिमाग में बवंडर, दिल में थंडर उठाकर रहेगा। अमेरिका की हवस में पागल टेकीज़ के लिए चायनीज़ ज्ञान पटका है । चले तो चांद तक नहीं तो शाम तक। एच-1 वीजा की आग में जलते बंदों के जमीर का खमीर उठाया है। अंग्रेजी की टांग तोड़ते `डैशिंग` पीसों को लंगड़ा बनाया है। क्रांति करने को उतारू सज्जनों की कमीनता बताई है। हर बात पर `हां जी` कहते हराम… की हैवानियत दिखाई है। चपटी नाक से हिमेश रेशमिया के `लव भजन` फुंफकारने वालों को सच्ची आशिकी नहीं मिलने की हकीकत से रूबरू करवाया है। `तुझे देखा तो ये जाना सनम…` गाने से लड़की नहीं पलटती, इस अध्यात्म से भी मिलवाया है। दिल में दो किलो दर्द हो तभी हो सकती है सेटिंग, नहीं तो खाली एफ़बी पर चैटिंग से कुछ नहीं होता – जैसी हकीकत बया की है।

Back to top button