अगर जा रही हैं कोई शुभ कार्य करने तो भूलकर भी इस तिथि पर न करें, जानिए क्यों…

ज्योतिष विज्ञान के मुहूर्तशास्त्र में तिथि, वार, नक्षत्र, योग और करण का महत्व सर्वोपरि रहता है। इन्हीं पाँचों के संयोग को पंचांग कहते हैं। तिथियों की पांच संज्ञा होती है, इनमे नंदा, भद्रा, जया, रिक्ता और पूर्णा, इनमे चतुर्थी, नवमी और चतुर्दशी तिथि को रिक्ता तिथि की संज्ञा दी गयी है। इनके गुण-दोष भी इन्हीं के नामो के अनुसार घटित होते हैं, इनमें नन्दा तिथि में किसी भी तरह के विलासिता एवं मनोरंजन से सम्बंधित कार्य, भद्रा से स्वास्थ्य, शिक्षा-प्रतियोगिता में सफलता व्यवसाय की शुरुआत, जया तिथि भी प्रतियोगिता और मुकेदमेबाजी के लिए तथा रिक्ता तिथि आपरेशन, दुश्मनों के खात्मा और कर्ज से छुटकारा दिलाने और पूर्णा तिथि किये गए सभी संकल्पों एवं कार्यों को पूर्ण करने के लिए शुभ फलदायी होती है। अगर जा रही हैं कोई शुभ कार्य करने तो भूलकर भी इस तिथि पर न करें, जानिए क्यों…अगर जा रही हैं कोई शुभ कार्य करने तो भूलकर भी इस तिथि परअगर जा रही हैं कोई शुभ कार्य करने तो भूलकर भी इस तिथि पर न करें, जानिए क्यों...न करें, जानिए क्यों...

रिक्ता तिथि में जन्में जातक का स्वभाव

इन पाँचों तिथियों में रिक्ता का विचार सर्वाधिक किया जाता है क्योंकि रिक्ता तिथि एकांत, शान्ति, सूनेपन और त्याग का कारक है, इस तिथि में जन्म लेनेवाला जातक दूसरों के लिए समर्पित होता है। उसका जीवन स्वयं के लिए नहीं समाज के लिए होता है। ऐसे व्यक्तियों में अधिकतर लोग साधू-संन्यासी होते हैं। रिक्ता तिथियों में क्रमशः चतुर्थी के स्वामी गणेश, नवमी की शक्ति और चतुर्दशी के शिव हैं। फलित ज्योतिष ग्रंथ मानसागरी के अनुसार —

”रिक्ता तिथौ वितर्कज्ञः प्रमादी गुरु निन्दकः।
शस्त्रज्ञो मदहन्ता कामुकश्च नरो भवेत्।।”

इस तिथि में जन्म लेने वाला जातक हर एक कार्य में अनुमान करने वाला, गुरुओं का निन्दक, शास्त्रों को जानने वाला, दूसरे के अहंकार का नाश करने वाला एवं अत्यधिक कामी होता है। 

क्या शुभ फल भी देती है रिक्ता तिथि
कार्य आरम्भ अथवा किसी भी मुहूर्त का विचार करते समय रिक्ता तिथि का त्याग किया जाता है। इसमें आरंम्भ किए गए कार्य निष्फल होते हैं, किन्तु विशेष ग्रह-नक्षत्र का संयोग होने पर इसमें भी शुभफल देने की शक्ति आ जाती है। यदि इस तिथि वाले दिन शनिवार हो तो ‘शनि रिक्ता समायोगे सिद्धयोगः वर्तते’ इससे बनने वाले योग सभी दुष्प्रभावों को नष्ट करके सिद्धि प्रदान करते हैं। 

तब बेहद कष्टकारी होती है रिक्ता तिथि
इसी प्रकार रिक्ता तिथि को यदि गुरूवार हो यह संयोग तो बेहद कष्टकारी योग होता है। इसके अंतर्गत किये अधिकतर कार्य-व्यापार में हानि तो होती ही है, बल्कि अधिकतर मामलों में विफलता ही मिलती है। चैत्रमास में दोनों पक्ष की रिक्ता तिथि नवमी, ज्येष्ठ मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी, कार्तिक मास में शुक्लपक्ष की चतुर्दशी, पौषमास में दोनो पक्षों की चतुर्थी, फाल्गुन मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि मास शून्य तिथियां होती हैं। इन तिथियों पर शुभ काम नहीं करना चाहिए। यदि किसी भी तरह का शुभकार्य आरम्भ कर रहे हों तो रिक्ता तिथि का और इससे बनने वाले योगों का विचार करना अति आवश्यक है।

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