अगर आप चाहती हैं जिंदगी में न हो ये बड़ा नुकसान, तो इस खबर को महिलायें जरुर पढ़े…

गर्भवती महिलाओं में थाइरॉइड की समस्या आम है. इसके चलते न जाने कितनी महिलाओं को कंसीव करने में भी दिक्कतें आती हैं. आज हम आपको बताने जा रहे हैं गर्भवती महिलाओं में थाइरॉइड लेवल कितना होना चाहिए. और अगर थाइरॉइड गर्भावस्था के दौरान बढ़ता है तो उसे नियंत्रण में कैसे लाना है.अगर आप चाहती हैं जिंदगी में न हो ये बड़ा नुकसान, तो इस खबर को महिलायें जरुर पढ़े...

हाल ही में हुए एक स्टडी से पता चला है कि प्रेग्‍नेंसी के पहले तीन महीनों के दौरान महिला के शरीर में थाइरॉयड लेवल 0.1 से 2.5 एमएल के बीच रहना चाहिए. हाल ही में हुए एक स्टडी से पता चला है कि प्रेग्‍नेंसी के पहले तीन महीनों के दौरान महिला के शरीर में थाइरॉयड लेवल 0.1 से 2.5 एमएल के बीच रहना चाहिए.

हाल ही में हुए एक स्टडी से पता चला है कि प्रेग्‍नेंसी के पहले तीन महीनों के दौरान महिला के शरीर में थाइरॉयड लेवल 0.1 से 2.5 एमएल के बीच रहना चाहिए.

प्रेग्नेंसी के दौरान एक अच्छे डॉक्टर की सलाह लेते रहें. समय-समय पर इसकी जांच कराते रहें. प्रेग्नेंसी के दौरान एक अच्छे डॉक्टर की सलाह लेते रहें. समय-समय पर इसकी जांच कराते रहें.

प्रेग्नेंसी के दौरान एक अच्छे डॉक्टर की सलाह लेते रहें. समय-समय पर इसकी जांच कराते रहें.

थाइरॉइड का लेवल अगर बढ़ता है तो इसके लिए डॉक्‍टर के पास जाना आवश्‍यक हो जाता है वरना यह मां और बच्‍चे दोनों के स्‍वास्‍थ्‍य को प्रभावित कर सकता है. थाइरॉइड का लेवल अगर बढ़ता है तो इसके लिए डॉक्‍टर के पास जाना आवश्‍यक हो जाता है वरना यह मां और बच्‍चे दोनों के स्‍वास्‍थ्‍य को प्रभावित कर सकता है.

थाइरॉइड का लेवल अगर बढ़ता है तो इसके लिए डॉक्‍टर के पास जाना आवश्‍यक हो जाता है वरना यह मां और बच्‍चे दोनों के स्‍वास्‍थ्‍य को प्रभावित कर सकता है.

थाइरॉयड के इलाज के लिए दी जाने वाली दवाई जरूरत के हिसाब से घटाई-बढ़ाई जाती है. अगर आप एक ही डोज पर निर्भर रहे तो बच्चे पर इसका बुरा प्रभाव पड़ सकता है. थाइरॉयड के इलाज के लिए दी जाने वाली दवाई जरूरत के हिसाब से घटाई-बढ़ाई जाती है. अगर आप एक ही डोज पर निर्भर रहे तो बच्चे पर इसका बुरा प्रभाव पड़ सकता है.

थाइरॉयड के इलाज के लिए दी जाने वाली दवाई जरूरत के हिसाब से घटाई-बढ़ाई जाती है. अगर आप एक ही डोज पर निर्भर रहे तो बच्चे पर इसका बुरा प्रभाव पड़ सकता है.

हाइपोथाइरॉयड होने की स्थिति में गर्भपात की आशंका बढ़ जाती है. भ्रूण के गर्भ में ही मृत्यू हो जाने का डर भी बढ़ता है. इसलिए गर्भवती महिलाओं को अपने खानपान पर ध्‍यान देना चाहिए. हाइपोथाइरॉयड होने की स्थिति में गर्भपात की आशंका बढ़ जाती है. भ्रूण के गर्भ में ही मृत्यू हो जाने का डर भी बढ़ता है. इसलिए गर्भवती महिलाओं को अपने खानपान पर ध्‍यान देना चाहिए.

हाइपोथाइरॉयड होने की स्थिति में गर्भपात की आशंका बढ़ जाती है. भ्रूण के गर्भ में ही मृत्यू हो जाने का डर भी बढ़ता है. इसलिए गर्भवती महिलाओं को अपने खानपान पर ध्‍यान देना चाहिए.

थाइरॉयड ग्रस्‍त गर्भवती महिलाओं के नवजात शिशुओं को भी नियोनेटल हाइपोथाइरॉयड होने की संभावना होती है, इसलिए प्रेग्‍नेंसी के दौरान किसी भी तरह की लापरवाही बरतने पर नुकसान हो सकता है. थाइरॉयड ग्रस्‍त गर्भवती महिलाओं के नवजात शिशुओं को भी नियोनेटल हाइपोथाइरॉयड होने की संभावना होती है, इसलिए प्रेग्‍नेंसी के दौरान किसी भी तरह की लापरवाही बरतने पर नुकसान हो सकता है.

थाइरॉयड ग्रस्‍त गर्भवती महिलाओं के नवजात शिशुओं को भी नियोनेटल हाइपोथाइरॉयड होने की संभावना होती है, इसलिए प्रेग्‍नेंसी के दौरान किसी भी तरह की लापरवाही बरतने पर नुकसान हो सकता है.

Back to top button